-संदीप सृजन
डिजिटल युग ने शिक्षा के परिदृश्य को पूर्णतः परिवर्तित कर दिया है। पहले शिक्षक कक्षा में ब्लैकबोर्ड और पुस्तकों के माध्यम से ज्ञान प्रदान करते थे किन्तु आज वे डिजिटल उपकरणों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ऑनलाइन मंचों के साथ मिलकर छात्रों को भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं। आज जब हम डिजिटल परिवर्तन के शिखर पर हैं, शिक्षक की भूमिका केवल ज्ञान वितरक से बदलकर मार्गदर्शक, परामर्शदाता और नवप्रवर्तक की हो गई है। आज शिक्षक डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर शिक्षा को अधिक समावेशी, व्यक्तिगत और प्रभावशाली बना रहे हैं।
डिजिटल युग की शुरुआत इंटरनेट और कंप्यूटर के प्रसार से हुई परन्तु 2020 की कोविड-19 महामारी ने इसे तीव्र गति प्रदान की। ऑनलाइन कक्षाएँ, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म्स ने शिक्षा को घर-घर तक पहुँचाया। युनेस्को की सन् 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व भर में 80% से अधिक छात्र डिजिटल उपकरणों से जुड़े हैं। इस परिवर्तन में शिक्षक की भूमिका केंद्रीय है। वे अब केवल लेक्चर देने वाले नहीं, अपितु डिजिटल सामग्री निर्माता (कंटेंट क्रिएटर) हैं जो वीडियो,इंटरएक्टिव क्विज और वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से शिक्षा प्रदान करते हैं।
ऐतिहासिक दृष्टि से, शिक्षा हमेशा तकनीकी प्रगति से प्रभावित रही है। प्राचीन काल में गुरुकुल प्रणाली मौखिक थी, मध्ययुग में पुस्तकों का आगमन हुआ और अब डिजिटल युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन शिक्षण ने क्रांति ला दी है। ओईसीडी की हाल की रिपोर्ट में उल्लेख है कि शिक्षकों को डिजिटल शिक्षा के लिए प्रशिक्षित करना आवश्यक है, ताकि वे छात्रों को जोखिमों से बचाते हुए लाभ प्रदान कर सकें।
डिजिटल युग में शिक्षक की प्राथमिक भूमिका मार्गदर्शक की है। वे छात्रों को ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित और निर्देशित करते हैं, न कि केवल सूचना प्रदान करते हैं। आज फ्लिप्ड क्लासरूम में छात्र घर पर वीडियो देखते हैं और कक्षा में विचार-विमर्श करते हैं। शिक्षक यहाँ मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं, जो छात्रों की जिज्ञासा को सही दिशा देते हैं। दूसरी भूमिका परामर्शदाता की है। डिजिटल युग में सूचनाओं की प्रचुरता के बावजूद, छात्रों को सही दिशा की आवश्यकता होती है। शिक्षक व्यक्तिगत शिक्षण पथ तैयार करते हैं, जहाँ एआई के माध्यम से छात्र की कमजोरियों का विश्लेषण होता है और शिक्षक व्यक्तिगत फीडबैक प्रदान करते हैं। तीसरी भूमिका नवप्रवर्तक की है। शिक्षक डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर नवीन शिक्षण विधियाँ विकसित करते हैं। उदाहरण के लिए, वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से इतिहास की घटनाओं को जीवंत करना या खेल- आधारित शिक्षण द्वारा गणित सिखाना। एक अध्ययन के अनुसार डिजिटल मंच शिक्षकों के ज्ञान साझाकरण को बढ़ावा देते हैं जिससे वे वैश्विक स्तर पर सहयोग कर पाते हैं।
डिजिटल युग में शिक्षकों के समक्ष कई चुनौतियाँ हैं। सबसे बड़ी चुनौती है डिजिटल डिवाइड। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और उपकरणों की कमी के कारण छात्र पिछड़ जाते हैं। युनेस्को के अनुसार, सन् 2025 में भी विकासशील देशों में 40% शिक्षक डिजिटल उपकरणों से अपरिचित हैं। शिक्षकों को प्रशिक्षण की आवश्यकता है, किन्तु कई देशों में यह अपर्याप्त है। ओईसीडी की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि डिजिटल शिक्षा के लिए शिक्षकों को सक्षम बनाने पर ध्यान देना चाहिए। दूसरी चुनौती साइबर सुरक्षा और गोपनीयता की है। ऑनलाइन कक्षाओं में डेटा लीक का खतरा रहता है। शिक्षकों को छात्रों को साइबर धमकी से बचाने की आवश्यकता है। साथ ही, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग से साहित्यिक चोरी बढ़ सकती है, जिसके लिए शिक्षकों को मूल्यांकन विधियों में परिवर्तन करना पड़ता है। अनिच्छुक शिक्षकों को प्रौद्योगिकी अपनाने में सहायता की आवश्यकता है।
मानसिक स्वास्थ्य भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। डिजिटल कक्षाएँ शिक्षकों पर अतिरिक्त दबाव डालती हैं, जैसे 24 घण्टे उपलब्धता। एक अध्ययन के अनुसार, कई शिक्षक कार्यभार के कारण तनावग्रस्त हो रहे हैं। चुनौतियों के बावजूद, डिजिटल युग शिक्षकों के लिए अवसरों से परिपूर्ण है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिक्षकों को नियमित कार्यों, जैसे ग्रेडिंग या लेसन प्लानिंग से मुक्त करती है जिससे वे रचनात्मकता पर ध्यान दे सकें। कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निंग (सीओएल) की सन् 2025 की रिपोर्ट में उल्लेख है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिक्षकों को सशक्त बनाती है। उदाहरण के लिए एआई टूल्स छात्रों की प्रगति का अनुसरण करते हैं और शिक्षकों को अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी शिक्षा को गहन बनाते हैं। शिक्षक वर्चुअल टूर्स आयोजित करते हैं, जैसे मंगल ग्रह की सैर या ऐतिहासिक घटनाओं का अनुभव। अमेरिकन एसपीसीसी के अनुसार डिजिटल युग में शिक्षा का विकास हो रहा है जहाँ शिक्षक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं।
व्यक्तिगत शिक्षण एक बड़ा अवसर है। डिजिटल उपकरण छात्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप सामग्री अनुकूलित करते हैं। शिक्षक डेटा एनालिटिक्स का उपयोग कर छात्रों की सहायता करते हैं। लिंक्डइन के एक लेख में सन् 2025 में एआई-पावर्ड क्लासरूम्स की चर्चा है, जहाँ शिक्षक एआई को सहायक के रूप में उपयोग करते हैं। वैश्विक स्तर पर, नाइजीरिया जैसे देशों में टीआरसीएन डिजिटल पोर्टल शुरू कर शिक्षकों को आधुनिक बना रहा है। भारत में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 डिजिटल शिक्षा पर बल देती है। शिक्षक दिक्षा और स्वयं जैसे मंचों का उपयोग करते हैं। किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की कमी जैसी चुनौतियाँ हैं। सन् 2025 में, भारतीय शिक्षक कृत्रिम बुद्धिमत्ता को एकीकृत कर रहे हैं परन्तु प्रशिक्षण की कमी एक बाधा है।
कुछ समय में शिक्षक की भूमिका और अधिक विकसित होगी। मेटावर्स में आभासी कक्षाएँ (वर्चुअल क्लासरूम्स) होंगी, जहाँ छात्र अवतार के रूप में भाग लेंगे। शिक्षक कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ सहयोग करेंगे, किन्तु मानवीय संपर्क का महत्व बना रहेगा। एनसी स्टेट यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता युग में शिक्षकों का मानवीय संबंध अधिक महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को निरंतर प्रशिक्षण की आवश्यकता है। सरकारों को निवेश करना चाहिए, जैसे ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर एजुकेशन (जीपीई) जो प्रौद्योगिकी सहायता प्रदान करता है। भविष्य में, शिक्षक सृजन अर्थव्यवस्था (क्रिएटर इकोनॉमी) का हिस्सा बनेंगे, जैसे सेजटूलर्न मंच पर पाठ्यक्रम बनाकर आय अर्जित करेंगे।
डिजिटल युग में शिक्षक की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। वे सृजनकर्ता हैं, जो डिजिटल उपकरणों के माध्यम से शिक्षा को सशक्त बनाते हैं। चुनौतियाँ हैं, परन्तु अवसर अधिक हैं। समाज को शिक्षकों का समर्थन करना चाहिए, ताकि वे छात्रों को भविष्य के लिए तैयार कर सकें। जैसा कि हायर एजुकेशन रिव्यू में उल्लेखित है, शिक्षक शिक्षण के मार्गदर्शक, सहयोगी और आजीवन शिक्षार्थी हैं। अंततः, डिजिटल युग शिक्षक को एक सुपरहीरो बनाता है, जो प्रौद्योगिकी और मानवता के बीच संतुलन स्थापित करता है।
संदीप सृजन