उत्तरप्रदेश: कैसे बना भारत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

शिवेश प्रताप

योगी ने कभी बीमारू माने जाने वाले उत्तर प्रदेश को विकास की दौड़ में अग्रणी स्थान पर ला खड़ा किया है। विश्लेषण मंच एसओआईसी के अनुसार सेंसेक्स तथा क्रेडिट लियोनिस सिक्योरिटीज एशिया आधारित रिपोर्ट्स के हिसाब से देश की जीडीपी में हिस्सेदारी के मामले में उत्तरप्रदेश दूसरे स्थान पर आ गया है। यह परिणाम योगी सरकार द्वारा किये जा रहे अहर्निश, ईमानदार एवं अनथक प्रयासों का परिणाम है।  देश की कुल जीडीपी में महाराष्ट्र 15.7 प्रतिशत जीडीपी योगदान के साथ पहले पायदान पर है तो वहीं उत्तर प्रदेश 9.2 प्रतिशत जीडीपी के साथ दूसरे स्थान पर है। बीते कुछ समय से तमिलनाडु से कांटे की टक्कर में उत्तरप्रदेश को अब बढ़त मिली है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने 2027 तक प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है।

आइये जानते हैं की योगी का उत्तरप्रदेश कैसे आज से 7 साल पहले असंभव से लगने वाले इस लक्ष्य को हासिल कर आगे बढ़ते हुए भारत के जीडीपी योगदान में प्रथम स्थान हासिल करने हेतु निरंतर प्रगतिशील है। किसी भी प्रदेश के लिए ऐसे बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए मात्र घरेलू बाजार की निर्भरता को खत्म कर अपने     निर्यात से पूरी दुनिया में व्यापारिक पैठ बनाने की आवश्यकता होती है। घरेलू बाजारों की मांग एवं क्रय शक्ति सीमित होती है जो एक सीमित राजस्व ही पैदा करने में सक्षम होती है। एक्सपोर्ट के माध्यम से एक विशालकाय बाजार के साथअच्छे लाभ एवं राजस्व प्राप्ति का रास्ता भी खुलता है।

निर्यात शक्ति बनता उत्तरप्रदेश:

योगी सरकार को निर्यात का महत्व पता है इसलिए सरकार द्वारा जमीनी स्तर पर ऐसी नीतियों एवं योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है जिससे निर्यात प्रोत्साहन को प्रदेश में बढ़ावा मिले। योगी सरकार के गंभीर प्रयासों के कारण ही कोविड जैसी महामारी की विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी उत्तर प्रदेश का निर्यात पिछले 6 वर्षों में लगभग दोगुना हो गया है। उत्तर प्रदेश के राज्य निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो की डाटा के अनुसार 2016-17 में प्रदेश का निर्यात 84,000 करोड रुपए का था जो 2022-23 में बढ़कर दोगुने से अधिक यानी 1,74,000 करोड़ का हो गया है। वित्तवर्ष 2023-24 में सरकार द्वारा 2 लाख करोड़ के निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह सूचनाओं सिद्ध करती हैं कि कभी बीमारू राज्य का टैग लेकर घूमने वाला उत्तर प्रदेश योगी सरकार के क्रांतिकारी नीतियों के कारण भारत का नया एक्सपोर्ट हब बनने जा रहा है।

उत्तर प्रदेश का 60% निर्यात दुनिया के 10 देशों, वियतनाम, नीदरलैंड, फ्रांस, चीन, मिश्र, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, यूनाइटेड किंगडम तथा जर्मनी को होता है। 2022-23 में सबसे अधिक निर्यात 32,800 करोड़ अमेरिका को, 14,300 करोड़ संयुक्त अरब अमीरात को तथा लगभग दस-दस हज़ार करोड़ जर्मनी एवं यूनाइटेड किंगडम को हुआ। उत्तर प्रदेश से वर्तमान में सबसे अधिक निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, दूरसंचार उपकरण, कॉटन, कृत्रिम फाइबर  आदि के साथ गेहूं, चावल, कालीन एवं हस्तशिल्प भी महत्वपूर्ण निर्यात सामग्री है। परंतु चौंकाने वाली बात यह है कि इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं उत्तर प्रदेश के संपूर्ण निर्यात का 18.9 प्रतिशत है इसके बाद कपड़ा उद्योग 9.5 प्रतिशत का योगदान करता है।

केंद्र की मोदी सरकार ने राज्यों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए देशभर के कुछ महत्वपूर्ण शहरों को सेंटर ऑफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस घोषित किया है जिससे कि निर्यात को एक समेकित विकास में सम्मिलित किया जा सके। एक्सपोर्ट एक्सीलेंस वाले शहरों में ऐसे शहरों को चयनित किया जाता है जिसकी उत्पादन सीमा 750 करोड रुपए से अधिक की हो और निर्यात क्षमता भविष्योन्मुख हो। आज भारत भर में केंद्र सरकार के द्वारा चिन्हित किए गए 43 सेंटर आफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस हैं। इनमें 12 सेंटर अकेले उत्तर प्रदेश में है जो इस प्रदेश के निर्यात सामर्थ्य को बताते हैं।

निर्यात चुनौतियों का स्थायी समाधान:

उत्तर प्रदेश चारों तरफ से स्थलीय एवं पहाड़ी सीमाओं के बीच स्थित है। सामान्यतया निर्यात प्रोत्साहन हेतु समुद्री सीमा किसी भी प्रदेश को बेहद महत्वपूर्ण बना देती है लेकिन उत्तर प्रदेश के पास कोई समुद्री सीमा न होते हुए भी 12 सेंटर आफ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस की मौजूदगी प्रदेश सरकार के विकास के संकल्प को स्वयं बताती है।

जल मार्ग से सस्ते यातायात का लाभ तटीय प्रदेशों को मिलता है लेकिन इस चुनौती के समाधान के लिए भी प्रदेश की योगी सरकार गंभीरता से कार्य करते हुए उत्तर प्रदेश के उद्योगों को जल मार्ग से जोड़ने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाया है। समुद्री बंदरगाहों की अनुपस्थिति में निर्यात की सुगमता के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के भीतर शुष्क बंदरगाहों का एक मजबूत नेटवर्क खड़ा करने के लिए कार्यरत है। इसी क्रम में योगी सरकार ने सिंगापुर के स्टार कंसोर्सियम तथा संयुक्त अरब अमीरात के सर्राफ ग्रुप के साथ-साथ हिंदुस्तान पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड व अमेरिका के दो कंपनियां मोबिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर तथा बेस्ट बे ट्रकिंग ग्रुप के साथ एमओयू साइन किया है।

वर्तमान में मुरादाबाद रेल लिंक्ड जॉइंट डोमेस्टिक एक्सिम टर्मिनल, रेल लिंक्ड प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल तथा कानपुर व दादरी में शुष्क बंदरगाह सफलतापूर्वक कार्य कर रहे हैं। जल मार्ग की के लिए वाराणसी से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक जल राजमार्ग संख्या एक प्रारंभ हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का ध्यान उत्तर प्रदेश के पारंपरिक उद्योगों के संरक्षण एवं संवर्धन के द्वारा निर्यात को बढ़ाने पर है। इन पारंपरिक उद्योगों में भी दो ऐसे क्षेत्र टेक्सटाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण हैं जिसमें यूपी के पास एक बहुत बड़ा अवसर है।

परंपरागत एवं श्रम आधारित टेक्सटाइल उद्योग:

उत्तर प्रदेश भारत का तीसरा सबसे बड़ा टेक्सटाइल उत्पादन करने वाला प्रदेश है तथा राष्ट्रीय उत्पादन में 13.24 प्रतिशत का योगदान करता है। उत्तर प्रदेश में लगभग ढाई लाख हैंडलूम बुनकर तथा चार लाख 21 हजार पावरलूम बुनकर मौजूद है। उत्तर प्रदेश सरकार इस क्षेत्र में निर्यात को और बढ़ाना चाहती है साथ ही सरकार का लक्ष्य है कि इस उद्योग से जुड़ा हुआ अंतिम व्यक्ति भी निर्यात से लाभान्वित हो सके क्योंकि कपड़ा उद्योग कम पूंजी निवेश तथा अधिक मानवीय श्रम आधारित उद्योग है। 10 हज़ार की एक सिलाई मशीन दो लोगों को रोजगार दे सकती है। यही कारण है कि कपड़ा उद्योग न केवल निर्यात प्रोत्साहन कर सकता है अपितु बेरोजगारी की विकराल समस्या का भी समाधान कर सकता है।

टेक्सटाइल के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का निर्यात लगातार बढ़ रहा है। यह योगदान उत्तर प्रदेश के चार जिलों से हो रहा है। नोएडा के रेडीमेड कपड़े, मेरठ का स्पोर्ट वेयर, कानपुर के बच्चों के कपड़े तथा लखनऊ के पारंपरिक चिकन इसमें अपना अहम् योगदान दे रहे हैं। केंद्र सरकार के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश सरकार इन्हीं जनपदों में टेक्सटाइल उद्योग के निर्यात प्रोत्साहन पर ध्यान दे रही है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 58 स्पिनिंग मिल्स तथा 74 टेक्सटाइल मिलें चल रही है।  कपड़ा उद्योग के निर्यात प्रोत्साहन से उत्तर प्रदेश में लगभग 5 लाख लोगों को रोजगार मुहैया होगा।

चीन को चुनौती देता इलेक्ट्रॉनिक उद्योग:

वैश्विक स्तर पर चीन का शेनझेन शहर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण का सबसे बड़ा ठिकाना है। पूरे विश्व का 90% इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद इसी शहर की देन है। इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के प्रति बनते रुझानों के कारण अब प्रदेश के साथ-साथ केंद्र सरकार भी उत्तर प्रदेश को चीन के इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के एकाधिकार के प्रत्युत्तर में उत्तर प्रदेश को इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के क्षेत्र में वरीयता दे रही है। वित्त वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश ने 29,699 करोड रुपए का इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्यात किया।

केंद्र सरकार के मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर के अनुसार सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 तक 300 बिलियन डॉलर मूल्य के विनिर्माण का लक्ष्य रखा है। इसकी एक तिहाई लक्ष्य यानी 100 बिलियन डॉलर उत्तर प्रदेश द्वारा पूरा किए जाने की अपेक्षा है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश भारत के कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक है। साथ ही इलेक्ट्रानिक सिस्टम डिजाइन एवं विनिर्माण की 196 कंपनियां उत्तर प्रदेश में ही स्थापित है।

प्रदेश की योजनाओं से हुआ व्यापक परिवर्तन:

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 2020 में नई इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण नीति का प्रारंभ तब किया जब कोरोना के संकट के दौर में दुनिया की तमाम कंपनियां चीन से निकलकर अन्य देशों में अपनी व्यापारिक संभावनाएं तलाश रही थी। योगी सरकार के द्वारा 2017 में लाए गए पंचवर्षीय इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण लक्ष्य के परिणाम नोएडा में दिखने शुरू होने से सरकार का प्रोत्साहित होना तर्कपूर्ण भी है। इसी योजना के अंतर्गत नोएडा, ग्रेटर नोएडा तथा यमुना एक्सप्रेसवे को इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग जोन के रूप में चिन्हित किया गया।

2020 में लागू की गई नई इलेक्ट्रॉनिक नीति के तहत सरकार द्वारा 40,000 करोड़ का निवेश एवं चार लाख लोगों की रोजगार का लक्ष्य 2025 तक निर्धारित किया गया है। इसी नीति के तहत बुंदेलखंड में रक्षा इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्लस्टर तथा लखनऊउन्नावकानपुर जोन में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर स्थापित किया जा रहा है। सरकार का ध्यान न केवल नीतियां बनाने पर है अपितु उसके सफल क्रियान्वयन के लिए प्रदेश सरकार की मशीनरी जमीनी स्तर पर कार्य कर रही है। योगी सरकार के द्वारा पश्चिमांचल एवं मध्यांचल में सर्किल रेट से 25% छूट पर निवेशकों को जमीन उपलब्ध कराया जाएगा। बुंदेलखंड तथा पूर्वांचल में यह छूट 50% की रहेगी।

उत्तर प्रदेश की निर्यात प्रोत्साहन नीति:

उत्तर प्रदेश से संपूर्ण विश्व में निर्यात को बढ़ाने के लिए नवंबर 2021 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में मंत्री समूह द्वारा एक निर्यात प्रोत्साहन नीति का प्रारंभ किया गया। यह नीति 2025 तक के लिए तैयार की गई है जिसका प्रमुख उद्देश्य निर्यात हेतु आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराना तथा निर्यात बढ़ाने के लिए विश्व स्तर की तकनीकी एवं इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रदेश में स्थापित करना। इसके साथ ही निर्यात को बढ़ावा देने वाले उद्योगों को विशेष सहयोग प्रदान करने के साथ-साथ क्षेत्रीय स्तर पर निर्मित होने वाले वस्तुओं के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में संभावनाओं को खोजना भी इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य था।

इस नीति के तहत सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र के तर्ज पर प्रत्येक जनपद में इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करना चाहती है। इसके लिए उत्तर प्रदेश एक्सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से फंड प्रदान करने की योजना है। इसी के साथ उत्तर प्रदेश कृषि प्रोत्साहन नीति के अंतर्गत कृषि निर्यात को भी सरकार के निर्यात प्रोत्साहन नीति का अभिन्न अंग बनाया गया है। ऐसा करके किसानों के लिए विश्व बाजार को खोलकर सरकार उनकी आय को भी बढ़ने का लक्ष्य साध रही है।

लॉ एंड आर्डर का स्थायी कठोर समाधान:

2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार योगी सरकार के संपूर्ण कार्यकाल में 143 क्रिमिनल्स को मार गिराया गया तथा 23300 को एनकाउंटर में अरेस्ट किया गया। अपराध को कम करने के लिए सरकार ने सारी संभव शक्तियों का प्रयोग किया जैसे स्पेशल टास्क फोर्स, एंटी करप्शन स्क्वाड, एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड तथा नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन कर उत्तर प्रदेश में किसी भी प्रकार के अपराध के शमन पर कार्य किया।

योगी सरकार के इस अभूतपूर्व कार्य के कारण ही 2018 में प्रदेश में 4 लाख करोड़ का निवेश संभव हुआ। उत्तर प्रदेश आने वाले निवेशों को धरातल पर उतरने के मामले में पूरे देश का अव्वल राज्य बना। साथ योगी सरकार ने अपने इंफ्रास्ट्रक्चर तथा ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस रैंकिंग को सुधारने में सफल रहा। रैंकिंग को सुधारने के लिए सरकार ने निवेशकों को जमीन पर सब्सिडी दी तथा डॉक्यूमेंटेशन प्रक्रिया को बहुत आसान बनाया। उत्तर प्रदेश जैसे माफिया राज के नाम से कुख्यात प्रदेश आज योगी आदित्यनाथ सरकार की परिश्रम की बदौलत इस ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में देश के दूसरे नंबर का राज्य है।

प्रदेश में बहती निवेश गंगा:

सरकार द्वारा प्रतिवर्ष यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जाता रहा। 2023 में सरकार ने इन्वेस्टर समिट के माध्यम से 18,645 एमओयू साइन किया तथा 32 लाख 92 हजार करोड़ के निवेश का प्रपोजल हासिल किया। भारत के इतिहास में किसी भी प्रदेश के इन्वेस्टर समिट में आज तक इतना बड़ा निवेश प्रपोजल नहीं मिला। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस इन्वेस्टर समेत से 17 लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य बनाया था जबकि उसे अपने लक्ष्य से दोगुना प्राप्त हुआ। बुंदेलखंड के लिए 4.28 लाख करोड़ का प्रपोजल प्राप्त हुआ। लगभग साढ़े नौ लाख करोड़ का निवेश पूर्वी उत्तर प्रदेश को प्राप्त हुआ। सरकार का दावा है कि इन निवेश के माध्यम से प्रदेश में 92 लाख 50 हज़ार नौकरियों का सृजन होगा।

योगी सरकार के अहर्निश परिश्रम और सुशासन से मिलने वाले परिणाम से प्रदेश में नई आशा का संचार हुआ है। विश्व पटल पर उत्तरप्रदेश जिस प्रकार से आगे बढ़ रहा है वह दिन दूर नहीं जब उत्तरप्रदेश एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बन विश्व के सामने एक मॉडल स्टेट के रूप में प्रस्तुत होगा।

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