कविता

कश्मीर की घाटी

कुर्बानी दी जिन वीरो ने,इस कश्मीर की सुंदर घाटी में |
नमन करता हूँ उन वीरो को,जो मिल गये इस माटी में ||

छोडो गद्दारों इस घाटी को,अब तुम्हारी यहाँ खैर नहीं |
सत्तर साल तुमने सताया,गद्दारों को यहाँ जगह नहीं ||

हट गयी धारा 370,अब मक्कारों की कोई खैर नहीं |
जो अपने देश का न हुआ,उनकी यहाँ कोई खैर नहीं ||

अब कश्मीर की घाटी में,सब चैन की नींद सोयेंगे |
जो देश को मिटाना चाहते थे,अब बैठ कर रोयेंगे ||

आज ख़ुशी के मौके पर,सब ईद दिवाली मना रहे | 
धर्म-जाति को भुलाकर,सब खूब पटाखे छुड़ा रहे ||

दी शहादत जिन वीरो ने,इस घाटी में उनको पूजेंगे |
इस कश्मीर की घाटी में,अब श्री राम के नारे पूजेंगे || 

“एक देश एक ही झंडा”,ये राष्ट वादी अब नारा है |
“सबको है समान अधिकार”,ये सविंधान का नारा है || 

अब होगा घाटी का विकास,फिर से अब ये महकेगी |
डर के साये में जी रही थी,अब फिर से ये चहकेगी ||

मिलेगा रोजगार नौजवानों को,जो नेताओ ने बहकाये थे |
देकर पत्थर उनके हाथो में,उनको बेरोजगार बनवाये थे ||

छिपे हुये है जो आंतकवादी,अब घाटी से डरकर भाग रहे |
कैसे वे अपनी जान बचाये,उनके आका भी नहीं सुझा रहे ||

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम (हरियाणा)
मो 9971006425