देश में कपकपाती ठंड पर विभिन्न दलों व नेताओ के विचार ( एक व्यंग)

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भाजपा:– ये कंपकपाती ठण्ड सबका साथ, सबका विश्वास का अद्भुत उदाहरण है। ये ठण्ड बिना किसी जाति, धर्म के भेदभाव किए बिना सभी पर समान रूप से पड़ रही है। हम इस सद्भावनापूर्ण ठण्ड का स्वागत करते हैं। भूरि-भूरि प्रशंसा करते हैं।

कांग्रेस:– ऐसा नहीं हैं कि ये ठण्ड हमारी सरकार में नहीं पड़ती थी, पड़ती थी किन्तु ऐसी भेदभावपूर्ण, विद्वेषपूर्ण ठण्ड आज से पहले कभी नहीं पड़ी। हम पूछना चाहते हैं इस सरकार से अल्पसंख्यक इलाकों में ही ज्यादा ठण्ड क्यों पड़ रही हैं ??.. लोकतंत्र में इतनी ठण्ड बर्दाश्त नहीं। हम संसद में इस कंपकपाती ठण्ड पर बहस चाहते हैं।

केजरीवाल:– हम पूछना चाहते हैं, मोदी जी से.. आखिर चुनाव के ऐनवक्त पहले ही इतनी ठण्ड क्यों पड़ रही है ??… 5 साल इतनी ठण्ड क्यों नहीं पड़ी ??..
मोदी सरकार अधिक ठण्ड पड़वाकर वोटरों को डराना चाह रही है। ये ठण्ड और मोदी जी आपस में मिले हुए हैं। हम विधानसभा का विशेष सत्र बुलवाकर इस षड्यंत्र का खुलासा करेंगे।

मायावती:– इतनी ठण्ड बीम क्षेत्रों में क्यों पड़ रही है ??.. ये ठण्ड मनुवादी ठण्ड है। ये ठण्ड असंवैधानिक हैं। ये ठण्ड संविधान के खिलाफ है। हम इस ठिठुरती ठण्ड के खिलाफ राष्ट्रपति जी को ज्ञापन सौंपेंगे।

ममता:– हम पूछना चाहता हाय दिसंबर में इतोना थोण्ड क्यों ??.. दिवाली पोर क्यों नही ??.. ओल्पसंख्यक इलाका में ही इतना थोण्ड क्यों ??..ये थोण्ड सोम्प्रदायिक थोण्ड हाय.. ये थोण्ड सेक्युरिज्म का खिलाफ हाय.. हम इस थोण्ड का बोंगाल में पड़ने पर प्रोतिबन्ध लोगाता हाय.. हम सोमस्त सेक्युलर ताकतों से ओपील कोरता हाय.. इस सोम्प्रदायीक थोण्ड का खिलाफ इकोट्ठा हो। का का छि छि… का का छि छि..

ओबेसी:– संविधान में ये कहीं नहीं लिखा, इतनी कंपकपाती ठण्ड पड़ना चाहिए। ये सरकार संविधान के खिलाफ काम कर रही है। अगर कोई मेरी गर्दन पर “बर्फ की सिल्ला” भी रख दे, तो भी मैं गर्म कपड़े नही पहनूंगा। हम इस हिटलर ठण्ड की मज़म्मत करते हैं। घोर विरोध करते हैं।

वामपंथी:– ये ठण्ड न चीन में पड़ रही है, न रूस में। अतः हमारा इससे कोई लेना-देना नही हैं।
और अंत में,

रविश कुमार: क्या मोदी सरकार चुनाव के ऐनवक्त पहले ऐसी ठण्ड पड़वाकर चुनाव जीतना चाहती है ??.. पूरे देश में एक जैसी ठण्ड न पड़कर क्या मोदी सरकार देश को बांटना चाह रही है ??..क्या सरकार इतनी ठण्ड पड़वाकर बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, CAA से देश का ध्यान भटकाना चाहती है ??..

हम सब मिलकर मोदी सरकार और भाजपा से इस कपकपाती ठंड का जबाव मांग रहे हैं। हमे लग रहा है कही भाजपा चुनाव के चक्कर में इसे ठंडे बस्ते में न डाल दे।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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