कविता

हम बेटे हिंदुस्तान के ……..

दुनिया में पहचान हमारी चलते सीना तान के,

हम बेटे हिंदुस्तान के …

हम बेटे हिंदुस्तान के ……..

 

दिया दशमलव का ज्ञान और शून्य  जहांindians on the border को सिखलाया ,

कारगिल की चोटी पर तिरंगा हमे फहराया ,

दरवाजे न खुलते जिनसे उनसे खिड़की खुलवा दी ,

भगतसिंह , आजाद न होते कहाँ हमें थी आजादी ,

भारत माँ के पुत्र हम ही मिट जाते इसकी आन पे ,

हम बेटे हिंदुस्तान के ……..

 

मंगल पर भी अब हमने अपना परचम है लहराया ,

परमाणु शक्ति बनकर दुनिया को हमने बतलाया ,

हम वही जो जीवित सिंहो के दांतो को गिन लेते ,

हम वही जो सूरज को भी अपने मुख में रख लेते ,

हम नहीं कोई कायर , बस झुकते हैं सम्मान पे ,

हम बेटे हिंदुस्तान के ……..

 

सौ योजन सागर पर हमने ही बांध बनाया था ,

असुरो  से लड़ने के खतिर अस्थि वज्र बनाया था ,

खाकर घास की रोटी हम ही महाराणा प्रताप बने ,

दुश्मन की आँखों में बैठा हर वो हम संताप बने ,

मर जायेंगे-मिट जायेंगे भारत माँ के नाम पे ,

हम बेटे हिंदुस्तान के ……..

 

सत्ता के मद में चूर थे सबक उन्हें यह सिखलाया ,

बेटो के सिर काटने का जो क्रोध था हमने दिखलाया ,

हम  में  ही हैं  वो ताकत राजा को रंक बना देते ,

चाय बेचने वाले को भी सिंहासन पर  बिठा देते ,

तांत्या , सुखदेव , राजगुरु जिए- मरे सम्मान से

हम बेटे हिंदुस्तान के ……..

दुनिया में पहचान हमारी चलते सीना तान के,

हम बेटे हिंदुस्तान के …

हम बेटे हिंदुस्तान के ……..