ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने क्या हासिल किया

राजेश कुमार पासी

पाकिस्तान के आतंकियों द्वारा कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में 26 भारतीयों की बड़ी बेरहमी से हत्या की गई थी। आतंकियो ने पर्यटकों का धर्म पूछ-पूछ कर हिन्दू पुरुषों को अपना शिकार बनाया । हिंदुओं की धार्मिक पहचान जानने के लिए उनकी पैंट उतारकर देखा गया कि वो हिन्दू ही हैं । इस घटना के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई थी और देश चाहता था कि सरकार इस दुर्दांत हमले का जवाब दे । 2014 से पहले जब भी देश पर आतंकी हमला होता था तो जनता कभी बदले की बात नहीं करती थी। इसके लिए कुछ दिन आतंकवादियों और उनके आका पाकिस्तान को कोसा जाता था फिर इसके बाद देश अपने रास्ते पर चल पड़ता था। सरकार हर आतंकी हमले के बाद उसका एक डॉजियर बनाकर पाकिस्तान को आतंकी संगठनों पर कार्यवाही करने के लिए भेज देती थी। भारत ऐसे हमलों के बाद दुनिया के प्रभावशाली देशों को भी पाकिस्तान पर दबाव डालने को कहता था लेकिन कहीं कुछ नहीं होता था। 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकियों ने सैन्य ठिकाने पर बड़ा हमला करके 18 सैनिकों को शहीद कर दिया।

इसके बाद पहली बार मोदी सरकार ने पाकिस्तान को कीमत चुकाने की चेतावनी दी और कुछ दिन बाद भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर आतंकवादी कैम्प पर हमला करके कई दर्जन आतंकवादियो को मौत के घाट उतार दिया। पहली बार भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पाकिस्तान में घुसने की हिम्मत की थी । इसके बाद कश्मीर के पुलवामा में एक बड़ा आत्मघाती हमला करके आतंकवादियो ने 40 सीआरपीएफ जवानों को शहीद कर दिया। जनता ने फिर एक बार मोदी की ओर देखा तो मोदी जी ने बयान दिया कि इस हमले का जवाब दिया जाएगा । दो हफ्ते बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में बड़े आतंकवादी शिविर पर हमला करके सेकड़ो आतंकवादियों को ठिकाने लगा दिया। इस बार जब 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 निर्दोष भारतीय नागरिकों की हत्या कर दी तो जनता ने फिर मोदी की ओर देखा कि क्या इस बार भी पाकिस्तान को सबक सिखाया जायेगा । प्रधानमंत्री मोदी और उनके कई नेताओं ने बयान दिया कि इस हमले की पाकिस्तान के आतंकियों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी । मोदी जी ने कहा कि इस बार भारत ऐसी कार्यवाही करेगा जिसकी आतंकवादियों और उनके पीछे बैठे उनके आकाओं ने कल्पना भी नहीं की होगी ।

               भारतीय सैन्य बलों ने 6-7 मई की रात को 1 बजे के बाद करीब आधे घंटे में पाकिस्तान में स्थापित 9 आतंकवादी शिविरों पर बड़ा हमला करके उन्हें मिट्टी में मिला दिया । देखा जाए तो इस बार भी भारत ने आतंकियों और उनके आका पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिर्फ आतंकवादी अड्डों पर हमला किया था और पाकिस्तान को बता दिया गया कि हमने जो कार्यवाही करनी थी कर दी गई है। पाकिस्तान को कहा गया कि भारत ने सिर्फ आतंकवादी शिविरों पर हमला किया है, किसी भी सैन्य और नागरिक ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया है। अगर पाकिस्तान ने भारत के ऊपर हमला किया तो उसे बड़ा जवाब दिया जाएगा । इससे साबित होता है कि आतंकवादी शिविरों पर हमला करने के बाद भारत का लक्ष्य पूरा हो गया था, अगर पाकिस्तान भारत पर हमला नहीं करता तो मामला खत्म हो जाता । पाकिस्तान के हुक्मरानों के लिए ये असहनीय था कि भारत इतना बड़ा हमला करे और उन्हें चुप रहना पड़े, इसलिए 8 और 9 मई की रात में पाकिस्तान ने भारत पर बड़े हमले किये । वास्तव में पहलगाम में आतंकी हमले के बाद जब मोदी सरकार को यह उलाहना दिया जा रहा था कि वो पाकिस्तान के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है तो बार-बार कहा जा रहा था कि जल्दी कार्यवाही की जाएगी। मोदी विरोधियों ने यह जानते हुए भी कि मोदी दो बार पाकिस्तान पर कार्यवाही कर चुके हैं और इस बार भी करेंगे, यह शोर मचाना शुरू कर दिया कि मोदी कुछ नहीं करने वाले हैं, जो करना था वो कर दिया है। सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के फैसले को लेकर मोदी जी का खूब मजाक बनाया गया कि जब नलका ही बंद करना था तो राफेल क्यों खरीदे गए थे। मोदी सरकार के लिए कार्यवाही करना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि उनके समर्थकों में कुछ न होने पर भारी निराशा और नाराजगी पैदा हो जाती। देखा जाए तो मोदी जी के लिए आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति के कारण कार्यवाही करना जरूरी था। 7 मई की कार्यवाही के मोदी जी का ये लक्ष्य पूरा हो चुका था।

अब सवाल उठता है कि मोदी सरकार ने कार्यवाही करने में इतना समय क्यों लिया । वास्तव में 8 और 9 मई को पाकिस्तान ने भारत पर जो हमला किया था उसकी मोदी सरकार को पूरी आशंका थी । मोदी सरकार चाहती तो तीन चार दिन में पाकिस्तानी आतंकी शिविरों पर कार्यवाही कर सकती थी लेकिन पाकिस्तान के जवाबी हमले की तैयारी करने के लिए इतना समय लिया गया था। कोई नहीं कह सकता कि भारत और पाकिस्तान के बीच छोटी सी झड़प कब बड़े युद्ध का रूप ले सकती है इसलिए युद्ध की तैयारी के बाद ही सरकार ने कार्यवाही की थी। 

             देखा जाए तो भारत और पाकिस्तान के बीच पूरा युद्ध नहीं हुआ है बल्कि एक बड़ा संघर्ष हुआ है। हो सकता था कि पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध में चला जाता लेकिन सिर्फ तीन दिन की कार्यवाही में भारत ने पाकिस्तान की ऐसी हालत कर दी कि युद्ध के आगे बढ़ने में पाकिस्तान को अपनी सम्पूर्ण बर्बादी नजर आने लगी । यही कारण है कि वो कई देशों के आगे जाकर गिड़गिड़ाया और बाद में भारत के साथ संघर्ष को विराम लग गया। वैसे देखा जाए तो युद्ध में दोनों पक्षों का नुकसान होता है, किसी का कम होता है और किसी का ज्यादा होता है लेकिन फायदा सिर्फ एक पक्ष का होता है जो जीतता है। भारत को इस संघर्ष में बड़ी जीत मिली है तो उसके फायदे भी बड़े हैं। भारत का आतंकी शिविरों पर कार्यवाही करने का उद्देश्य यह था कि आतंकवादियों को संदेश दिया जाए कि वो भारतीय नागरिकों की हत्या करके कहीं छुप नहीं सकते । वो हमला करके पाकिस्तान में जाकर कार्यवाही से बच नहीं सकते । पाकिस्तान और उसके गुर्गे आतंकियो को भारत ने संदेश दे दिया कि वो उन्हें पाकिस्तान में घुसकर तबाह कर सकता है। भारत ने अपना लक्ष्य पूर्ण रूप से प्राप्त किया कि वो आतंकी और उनके सरगनाओं को उनके ठिकानों में ही दफन कर सकता है और पाकिस्तान उन्हें बचा नहीं सकता । इसके अलावा मोदी जी ने अपने देशवासियों को भी संदेश दे दिया कि उनकी हत्या करके कोई आतंकी पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं रह सकता और मोदी सरकार उन्हें उनके पापों का दंड देने के लिए कुछ भी कर सकती है, यहां तक कि पाकिस्तान से युद्ध करने से भी पीछे नहीं हटेगी । भारत की कार्यवाही के बाद उसका उद्देश्य पूरा हो गया था लेकिन जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया और भारत ने उसका बड़ा घातक जवाब दिया तो भारत को वो हासिल हुआ जिसके बारे में सोचा नहीं गया था।

           भारत ने दिखा दिया है कि वो बिना किसी की मदद के पाकिस्तान को जवाब दे सकता है. उसे किसी की जरूरत नहीं है ।   तुर्की और चीन  दोनों देश भारत विरोधी है , इसलिए पाकिस्तान के साथ खड़े थे। वैसे इससे भारत को बड़ा फायदा हुआ है क्योंकि इस संघर्ष में पाकिस्तान ने तुर्की और चीन के हथियारों का इस्तेमाल किया लेकिन भारत के सामने वो बेकार साबित हुए । इस युद्ध में साबित हो गया कि तुर्की के वो ड्रोन भारत के सामने बेकार हैं जिनका पूरी दुनिया में डंका बज रहा है। चीन के हथियार किसी काम के नहीं हैं, इस संघर्ष में साबित हो गया। भारत ने इस संघर्ष से अनजाने में इतना बड़ा लक्ष्य हासिल कर लिया जिसके बारे में उसने सोचा भी नहीं था । भारत ने साबित कर दिया कि मेक इन इंडिया के हथियार कितने घातक और असरदार हैं । आने वाले समय में भारत के लिए हथियारों का बड़ा बाजार खुलता दिखाई दे रहा है और चीन की दुकान बन्द होती नजर आ रही है। इसके अलावा भारत ने पूरी दुनिया को बता दिया कि आतंकवाद के खिलाफ कार्यवाही करने से उसे कोई नहीं रोक सकता और भारत के लिए आतंकी कार्यवाही युद्ध है और भारत आतंकी हमले का जवाब युद्ध से दे सकता है। भारत ने पूरी दुनिया को बता दिया है कि पाकिस्तान जैसा देश उसके मुकाबले बहुत कमजोर है और भारत चीन से मुकाबला कर सकता है।

चीन की बढ़ती दादागिरी के खिलाफ भारत को कई देशों का साथ मिल सकता है क्योंकि भारत अब  कमजोर देश नहीं रहा । भारत ने सिर्फ कुछ मिनटों की कार्यवाही में पाकिस्तान के 11 एयरबेस बर्बाद करके दिखा दिया कि पाकिस्तान को वो कभी भी बर्बाद कर सकता है और पाकिस्तान के पास भारत से लड़ने की शक्ति नहीं है। जो देश पाकिस्तान के जरिये भारत को बर्बाद करने की मंशा रखते हैं उन्हें भारत ने बड़ा संदेश दे दिया है। भारत अपने मेक इन इंडिया के उन्नत और भरोसेमंद हथियारों के दम पर कई देशों का सुरक्षा प्रदाता बनकर उभर सकता है। भारत ने अपने हथियारों से दिखा दिया है कि वो अपनी मारक क्षमता में किसी भी देश से कम नहीं है और सबसे सस्ते हैं । भारत अब विदेशी हथियारों के बिना भी अपनी सुरक्षा कर सकता है। भारत ने इस युद्ध से जो हासिल किया है उसका फायदा धीरे-धीरे महसूस होने लगेगा । सबसे बड़ी बात भारत ने इस युद्ध के बाद पाकिस्तान की परमाणु बम वाली धमकी को हमेशा के लिए दफन कर दिया है । भारत ने सिंधु जल समझौता निलंबित करके पाकिस्तान के लिए हाथ जोड़कर गुहार लगाने का रास्ता तैयार कर दिया है ।

राजेश कुमार पासी

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