
यह खेल खतरनाक है,खेल को समझिए जरा
कत्लों -गाह का ग़र तजुर्बा है तो उतरिए ज़रा
बाकायदा खून की बू आपको पसंद आती हो
तब ही इन सियासती गलियों से गुजरिए ज़रा
कभी अपनों के लाश देखो और गौर से देखो
फिर अपने किए झूठे वायदों से मुकरिए ज़रा
ये चीख, ये चिल्लाहट ,ये झुंझलाहट, ये बेबसी
किसी रोज़ ही सही इनको महसूस करिए ज़रा
लोकतंत्र, राजतंत्र, ये तंत्र, वो तंत्र- सब षड्तंत्र
कभी किसी गरीब किसान के जैसे मरिए ज़रा
सलिल सरोज