आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग है

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यानी कि 21 जून 2025 को हम 11 वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने जा रहें हैं। पाठकों को बताता चलूं कि योग शब्द का अर्थ ‘एक्य’ या ‘एकत्व’ होता है, जो संस्कृत धातु ‘युज’ से निर्मित है। युज का अर्थ होता है ‘जोड़ना’। यानी योग का सीधा सा मतलब है ‘जोड़ना।’ योग जोड़ने का कार्य करता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि ‘जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णतया मिलन ही योग है।’ गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है ‘योग : कर्मसु कौशलम्’ अर्थात् योग से कर्मों में कुश्लाता आती है। व्यावाहरिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने का एक साधन है। आज की युवा पीढ़ी भौतिकता के साये में जी रही है, वह अतिमहत्वाकांक्षा की शिकार हो गई है। सच तो यह है कि आज की युवा पीढ़ी पढ़ाई, करियर, नौकरी-पेशा, विभिन्न पारिवारिक जिम्मेदारियों और सामाजिक प्रतिस्पर्धा के बीच लगातार मानसिक दबाव में जी रही है। कहना ग़लत नहीं होगा कि इन चुनौतियों ने विशेषकर आज हमारी युवा पीढ़ी को इतनी अधिक नकारात्मकता से घेर लिया है कि वे आज लगातार तनाव और अवसाद के शिकार हो रहे हैं। इसका सीधा असर उनके मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। योग आसन, मुदाओं और बंद का समावेश है, जो हमें तनाव और अवसाद से तो बाहर निकालने की अभूतपूर्व क्षमताएं तो रखता ही है, यह हमारे जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भी ओतप्रोत करता है। आज के समय में महर्षि पतंजलि के योग सूत्र का श्लोक-‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः’ अत्यंत ही प्रासंगिक प्रतीत होता है। उनके अनुसार मन की चंचल वृत्तियों का नियंत्रण ही योग है। यदि हम सरल शब्दों में कहें तो ‘व्यक्ति के लिए अपने मन की नकारात्मकता पर काबू पाना ही योग है।’ यानी योग ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे मानव अपने मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक स्वास्थ्य को बनाये रख सकता है। बहरहाल,यहां यदि हम योग की परिभाषाओं की बात करें तो अनेक योगियों, गुरूओं और विद्वानों ने इसे परिभाषित किया है। मसलन, श्री श्री रविशंकर के अनुसार ‘योग सिर्फ व्यायाम और आसन ही है। यह भावनात्मक एकीकरण और रहस्यवादी तत्त्व का स्पर्श लिये हुए एक आध्यात्मिक ऊँचाई है, जो आपको सभी कल्पनाओं से परे की एक झलक देता है।’ ओशो के अनुसार ‘योग को धर्म, आस्था और अंधविश्वास के दायरे में बांधना गलत है। योग विज्ञान है, जो जीवन जीने की कला है। साथ ही यह पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जहाँ धर्म हमें खूंटे से बाँधता है, वहीं योग सभी तरह के बंधनों से मुक्ति का मार्ग है।’ बाबा रामदेव के अनुसार ‘मन को भटकने न देना और एक जगह स्थिर रखना ही योग है।’ आज जहां हम लोग नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव में जी रहे हैं और हर कहीं निराशा और अवसाद से घिरे हुए हैं, वहां  ‘योगश्चित्तवृत्तिनिरोध’ यानी योग से मन की नकारात्मकता को काबू में किया जा सकता है और सकारात्मकता की ओर कदम बढ़ाए जा सकते हैं। ‌बहरहाल, आज भारत योग की दिशा में निरंतर विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि योग न केवल भारत की प्राचीन व सनातन परंपरा व संस्कृति का अनमोल तोहफा है, बल्कि ये पूरी दुनिया के लिए सेहतमंद जीवन का रास्ता भी है। योग शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक संतुलन को भी बनाए रखने में मदद करता है।आज की बदलती जीवनशैली (आपा-धापी और दौड़-धूप भरी तनाव और अवसाद से ग्रस्त जीवनशैली) के बीच योग हमारे जीवन का अहम् हिस्सा बनता चला जा रहा है। पूरा विश्व आज योग के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जान चुका है। ग्राम स्तर पर तो आज योग धीरे धीरे जन आंदोलन में बदलता चला जा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज ग्रामीण स्कूलों, आंगनवाड़ियों, पंचायत भवनों के साथ ही विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर योगा प्रोटोकॉल के अनुसार विशेष योग सत्रों का आयोजन किया जा रहा है।न केवल गांवों में बल्कि शहरों में भी लोग निरंतर योग और प्राणायाम की ओर आकर्षित होते चले जा रहे हैं। बच्चे हों जा बूढ़े, जवान,महिलाओं सभी के लिये योग बहुत ही जरुरी है क्योंकि आज वैश्वीकरण के और विज्ञान के इस युग में स्वास्थ्य के लिए किसी भी व्यक्ति विशेष के पास समय नहीं है। भागदौड़ भरी जिंदगी में योग जीवन के अंग के रूप में बहुत ही जरुरी इसलिए हैं क्योंकि इससे हमारे स्वास्थ्य, शरीर पर सकारात्मक और अच्छे प्रभाव पड़ते है।यह हमें विभिन्न बीमारियों से बचाता है और हमें स्वस्थ रखने में अंत्यंत ही उपयोगी व सहायक है। प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं को स्वस्थ बनाये रखने के लिए योग आज के जीवन की महत्ती आवश्यकता व जरूरत है। वैसे, यहां पाठकों को बताता चलूं कि योग दिवस का आधिकारिक नाम यूएन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। योग, ध्यान, बहस, सभा, चर्चा, विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति आदि के माध्यम से सभी देशों के लोगों के द्वारा मनाये जाने वाला एक विश्व स्तर का कार्यक्रम है।भारत सरकार इस पर बहुत ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रही हैं ताकि हम सभी स्वस्थ व बेहतर जीवन जी सकें। हर साल योग दिवस की एक थीम रखी जाती है। पाठकों को बताता चलूं कि वर्ष 2014 के दौरान  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ने यू.एन. की आम सभा से कहा था कि ‘योग भारतीय परंपरा का एक अनमोल उपहार है।’ बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि साल यानी 2025 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की थीम- ‘योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ यानी ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ रखी गई है। दरअसल, इस साल की यह थीम ये जाहिर करती है कि हमारी सेहत और धरती की सेहत एक-दूसरे से जुड़ी हुई है। वास्तव में, यह भारत के उस पुराने विचार ‘वसुधैव कुटुंबकम’ से जुड़ी है, जिसका मतलब है-‘सारी दुनिया एक परिवार है।’ कहना ग़लत नहीं होगा कि योग हमारे मस्तिष्क और शरीर की एकता को संगठित करता है; विचार और कार्य; अंकुश और सिद्धि; मानव और प्रकृति के बीच सौहार्द; स्वास्थ्य और अच्छे के लिये एक पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। ये केवल व्यायाम के बारे में ही नहीं बल्कि विश्व और प्रकृति के साथ स्वयं एकात्मकता की समझ को खोजने के लिये भी है। अपनी जीवनशैली को बदलने और चेतना को उत्पन्न करने के द्वारा ये जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में मदद कर सकता है। चलिये एक अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को अंगीकृत करने की ओर कार्य करें। योग दिवस के विभिन्न उद्देश्य तय किये गये हैं जो निम्न प्रकार से हैं- योग का मतलब होता है “जोड़” यह विश्व के समस्त लोगों को जोड़ने का काम करता है। लोगों के बीच वैश्विक समन्वय को मजबूत करता हैं। योग लोगों को शारीरिक और मानसिक बीमारियों के प्रति जागरुक बनाता है और साथ ही योग के माध्यम से विभिन्न बीमारियों का समाधन किया जा सकता है। वास्तव मेंं देखा जाये तो योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हमारी जीवन-शैली को बेहतर बनाता हैं। योग से हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को लाभ होता है। कोई भी योग करके अपने वजन व कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम कर सकते हैं। योग हमें तनाव से दूर करके चिंता से राहत प्रदान करते हैं। यह हमारे अंतस की शांति के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।योग करके हम कैंसर, टीबी,ट्यूमर जैसी खतरनाक से खतरनाक बीमारियों से बच सकते हैं। यह हमारी प्रतिरोधक क्षमता में अपेक्षित सुधार कर ने में हमारी सहायता करते हैं। इससे हमारी सोच सकारात्मक, ऊर्जा में वृद्धि होती है और हम स्वयं को चुस्त दुरुस्त पाते हैं। शरीर शुद्ध होता है, टूट फूट से रक्षा होती हैं वगैरह वगैरह। योग व ध्यान से अंतर्ज्ञान की शक्ति में सुधार आते हैं। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि इस बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को खास बनाने के लिए सरकार ने 10 प्रमुख कार्यक्रमों की योजना बनाई है। इनमें क्रमशः योग संगम-1 लाख स्थानों पर सामूहिक योग प्रदर्शन, योग बंधन-योग से सामाजिक जुड़ाव बढ़ाना, योग पार्क-सार्वजनिक स्थानों पर योग केंद्र, योग समावेश-सबको जोड़ने वाली योग पहल,योग प्रभाव-योग के सकारात्मक प्रभाव पर चर्चा,योग कनेक्ट-डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से योग जोड़ना, हरित योग-पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा योग,योग अनप्लग्ड-सोशल मीडिया से दूर शांति से योग, योग महाकुंभ-विशाल योग आयोजन तथा संयोग – अन्य कलाओं व परंपराओं के साथ योग का मेल जैसे प्रमुख कार्यक्रमों की योजना बनाई है। कहना ग़लत नहीं होगा कि योग हो या ध्यान, भारत ने युगों-युगों से विश्व को ऐसा कुछ दिया है, जो शायद ही विश्व के किसी अन्य देश ने संपूर्ण विश्व को दिया हो। शायद इसीलिए भारत को विश्व गुरू की संज्ञा दी जाती रही है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र के 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को ‘विश्व योग दिवस’ को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई थी। बहरहाल, ऊपर जानकारी दे चुका हूं कि योग हमारी संस्कृति का हिस्सा भी है। वास्तव में सच तो यह है कि योग कोई धर्म नहीं है, यह जीने की एक कला है, जिसका लक्ष्य है- स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन। योग के अभ्यास से व्यक्ति को मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह भौतिक और मानसिक संतुलन द्वारा शांत मन और संतुलित शरीर की प्राप्ति कराता है। तनाव और चिंता का प्रबंधन करता है। आज की भागमभाग व दौड़ धूप की इस जिंदगी में ‘योग व ध्यान’ रामबाण सिद्ध हो रहे हैं। हमें योग को अपनी रोजमर्रा की जीवनशैली में आवश्यक रूप से शामिल करना चाहिए व हमारी युवा पीढ़ी को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।

सुनील कुमार महला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress