Home साहित्‍य कविता गुरु की महिमा

गुरु की महिमा

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गुरु बिन न ज्ञान होत है,गुरु बिन न कोई है समान |
गुरु बिन मार्ग दिखत है,गुरु बिन बढे न कोई शान ||

गुरु ज्ञान की बेल है,बाकी सब है कंटीली बेल |
ये ऊपर ले जायेगी,बाकी हो जायेगी सब फेल ||

गुरु की नित वंदन करो,हर दिन है गुरुवार |
गुरु ही देता शिष्य को अच्छे अचार विचार ||

गुरु से बड़ा कोई नहीं,उसके कोई न समान |
भगवान ने भी शिक्षा ली,गुरु वशिष्ठ से ज्ञान ||

गुरु के स्पर्श से,लोहा भी बने पारस समान |
गुरु ज्ञान की खान है,बाकी सब धूलि समान ||

गुरु ग्रंथो का सार है,गुरु ही है प्रभु का नाम |
गुरु ज्ञान की ज्योति है,गुरु ही है चारो धाम ||

गुरु अन्धकार से खीच कर मन में भरे प्रकाश |
ज्ञान का पानी पिलाकर,शिष्य की बुझाये प्यास ||

गुरु की कृपा जिस पर हो,हो जाते पूरन काम |
गुरु के सेवा करते ही,हो जाता है ब्रह्म ज्ञान ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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