कविता

कक्षा अध्यापक

भारतेंदु मिश्र-

-शिक्षक दिवस की पूर्व सन्ध्या पर शिक्षक बन्धुओं के लिए एक गीत-

teachers day

मेरी कक्षा में पढ़ते हैं

बच्चे पूरे साठ

मेरे लिए सभी बच्चे हैं

नई तरह के पाठ।

 

कुछ पाठों में भावसाम्य है

कुछ पाठों में कठिनाई है

एक पाठ बिल्कुल सीधा है

एक पाठ बिल्कुल उलझा है

इनमें कुछ सीधे निबन्ध हैं

संस्मरण कुछ जटिल छन्द हैं।

 

किसी पाठ के ठाठ बाट हैं

किसी पाठ पर रोना आता

इन सबमें हैं कुछ कविताएं

कुछ अनबूझी हुई ऋचाएं

कुछ पहाड़ तो कुछ सरिताएं।

 

मुसकाते गपियाते बच्चे

लगते हैं सब मन के सच्चे

रोज इन्हें खुलकर पढ़ता हूं

कुछ अपने भीतर गढ़ता हूं।

 

नहीं सिखा पाता हूं इनको

मैं किताब की सारी बातें

नहीं जानता कितना मुझे

पढ़ाना आता है

मुझको तो

बस इन बच्चों को पढना भाता है।