कविता लेख

कुछ ऐसा काम करो जिससे मानवता की पहचान हो

–विनय कुमार विनायक

कुछ ऐसा काम करो

जिससे मानवता की पहचान हो

ईश्वर खुदा के नाम हैवान ना हो जाओ!

कुछ ऐसा काम करो

जिसमें धर्म मजहब का गुमान ना हो

जिसमें धन वैभव का गुणगान ना हो!

कुछ ऐसा काम करो

जिसमें अलग सा दिखने का अहंकार ना हो

दूसरे धर्म मजहब के लिए तिरस्कार ना हो!

कुछ ऐसा काम करो

कि चेहरे में क्रूरता नहीं मासूमियत उगा हो

किसी के लिए छल प्रपंच हैवानियत ना हो!

कुछ ऐसा काम करो

कि भूख से रोते बच्चे हताश वृद्ध को हँसाओ

पराई बहन बेटी माता की अस्मत को बचाओ!

कुछ ऐसा काम करो

कि किसी ईश्वर खुदा को बड़ा बनाने के बहाने  

खुदगर्ज होके किसी इंसान को छोटा ना बनाओ!

कुछ ऐसा काम करो

कि किसी के मार्ग में रोड़ा ना अटकाओ

काँटा ना उगाओ ईंट पत्थर ना बरसाओ!

कुछ ऐसा काम करो

कि मानव जाति को मुश्किल से बचाओ

किसी को धर्मसंकट उलझन में ना फँसाओ!

कुछ ऐसा काम करो

कि हो सके तो इंसान इंसान के मध्य में

किसी ईश्वर खुदा भगवान को नहीं लाओ!

कुछ ऐसा काम करो

कि सच को बचाने, गिरे को उठाने के लिए

खुद ही खुदा भगवान सा इंसान बन जाओ!

—विनय कुमार विनायक