संविधान ने प्रत्येक नागरिक को वाक् और अभिव्यक्ति की आजादी दी है। मैं पिछले दो दशक से पत्रकारिता में हूं। अभिव्यक्ति की आजादी के लिए मैं कोई भी खतरा उठाने के लिए तैयार हूं।
महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में दैनिक भास्कर, नवभारत, हरिभूमि, जी न्यूज के संपादक और समाचार संपादक और एंकर के तौर पर लोगों ने मेरे काम को देखा और परखा है।
सभी राजनैतिक दलों के नेताओं से मेरा व्यक्तिगत संपर्क और संवाद है। किंतु मेरी पत्रकारिता में सत्ता से आलोचात्मक विमर्श का रिश्ता है। लिखना और किसी के खिलाफ लिखना पाप नहीं है। मैं मुद्दों पर किसी की आलोचना एवं प्रशंसा करता रहा हूं। अनेक अवसरों पर मैंने राहुल गांधी, अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल की भी प्रशंसा की है।
कोई भी लोकतंत्र इसी तरह के विमर्शों और बहसों से ही मजबूत होता है। देश में आपातकाल या सेंसरशिप नहीं है। मैं एक नागरिक के नाते निजी तौर अपने विचार रखने के लिए स्वतंत्र हूं और ऐसा करते हुए अपने संविधान द्वारा दी गयी इस आजादी पर गर्व महसूस करता हूं। लेखन का जबाव लेखन से ही दिया जाना चाहिए इस बात पर मेरा भरोसा कायम है।
सबके अपने सच हैं पर मैं अपने जैसा ही सोच सकता हूं। मुझे वाल्टेयर की इस बात पर भरोसा है कि- ” भले ही मैं आपकी बात से असहमत हूं किंतु आपको अपनी बात कहने से रोकूंगां नहीं।” एक लोकतंत्र में रहते हुए क्या हम विचारों की आजादी को भी नहीं बचाएंगे ?
(संजय द्विवेदीजी के फेसबुक वाल से साभार)
प्रा. संजय द्विवेदी कांग्रेस द्वारा की जा रही चर्चा, निंदा और साजिश से और मजबूत होंगे! राजनैतिक क्षेत्र में सामान्यतः जब कोई व्यक्ति आगे बढ़ रहा हो तो उसे रोकने उसके बारे में आधारहीन, मनगढ़ंत तथा झूठी चर्चा होती है. जब चर्चा से उसका रास्ता नहीं रुकता तो विरोधी उसे सार्वजनिक निंदा करते हैं. इससे भी जब उसका मनोबल नहीं गिरता तो उसके प्रति साजिश रची जाती है. व्यक्ति जब साजिश को भी पार कर जाता है तो एक प्रखर व्यक्तित्व बनकर उभरता है.
कांग्रेस एक विशुद्ध राजनैतिक दल है. सत्य को दबाने के लिए आज ही नहीं वर्षों से अनेकों राष्ट्रभक्तों को उसने धोखा दिया है. जब भी देश तथा समाज के लिए रचनात्मक कार्य की शुरुआत होती है तो सबसे पहले मार्ग में बाधा का कार्य उसी के द्वारा किया जाता है. निश्चय ही कांग्रेस ने राजनैतिक ओछेपन का प्रमाण दिया है.