कविता : अच्छा लगता है

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 मिलन सिन्हा

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कभी कभी खुद पर हंसना भी  अच्छा  लगता है

कभी कभी दूसरों पर रोना भी  अच्छा  लगता है।

 

हर चीज आसानी से मिल जाये सो भी ठीक नहीं

कभी कभी कुछ खोजना भी   अच्छा  लगता है।

 

भीड़  से  घिरा  रहता  हूँ  आजकल  हर  घड़ी

कभी कभी तन्हा रहना भी  अच्छा  लगता है।

 

हमेशा आगे देखने की नसीहत देता है  यहाँ हर कोई

कभी कभी पीछे मुड़कर देखना भी अच्छा  लगता है।

 

एक खुली किताब है मेरी यह  टेढ़ी-मेढ़ी  जिंदगी

कभी कभी  इसे दुबारा पढ़ना भी अच्छा लगता है।

 

जिंदगी  की   सच्चाइयां   तो  निहायत  कड़वी है

कभी कभी सपने में जीना भी अच्छा  लगता है।

 

‘मिलन’  तो  बराबर  ही  नियति  रही है मेरी

कभी कभी  बिछुड़न  भी   अच्छा  लगता है।

2 COMMENTS

  1. नमस्ते मिलन जी
    आप की कविता :अच्छा लगता है,पढ़कर बड़ा ही अच्छा लगा आशा करता हु की आगे भी आपकी कविताओ को पढने का मौका मिलता रहेगा
    आपका
    सौरभ कुमार कर्ण

  2. .

    “हर चीज आसानी से मिल जाये सो भी ठीक नहीं
    कभी कभी कुछ खोजना भी अच्छा लगता है”

    ग़ज़ल की तरह लिखी गई कविता पसंद आई
    मंगलकामनाओं सहित…
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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