कोई बोले
न बोले
खुद से
तू बोल
अपने तराजू में
खुद को
तू तौल
खुद को पहले जान
तभी
खुदा मिलेंगे
नहीं तो
तुमसे वो
जुदा रहेंगे
खुद से कर प्यार
जमाने से
प्यार हो जाएगा
फिर तो
जीवन तेरा
खुशियों से
भर जाएगा ।
कोई बोले
न बोले
खुद से
तू बोल
अपने तराजू में
खुद को
तू तौल
खुद को पहले जान
तभी
खुदा मिलेंगे
नहीं तो
तुमसे वो
जुदा रहेंगे
खुद से कर प्यार
जमाने से
प्यार हो जाएगा
फिर तो
जीवन तेरा
खुशियों से
भर जाएगा ।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।