कविता कहाँ गये भवानीप्रसाद मिश्र के ऊँघते अनमने जंगल January 14, 2020 / January 14, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment भवानीप्रसाद मिश्र ने देखे थे सतपुड़ा के घने जंगल नींद में डूबे हुये मिले थे वे उॅघते अनमने जंगल। झाड़ ऊॅचे और नीचे जो खड़े थे अपनी आंखे मींचे जंगल का निराला जीवन मिश्रजी ने शब्दो में उलींचें। मिश्र की अमर कविता बनी सतपुड़ा के घने जंगल आज ढूंढे नहीं मिलते सतपुड़ा की गोद में […] Read more » ऊँघते अनमने जंगल