विविधा औपनिवेशिकता की बेड़ियाँ तोड़ने का समय November 7, 2016 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment – लोकेन्द्र सिंह हमें स्वाधीनता जरूर 15 अगस्त, 1947 को मिल गई थी, लेकिन हम औपनिवेशिक गुलामी की बेडिय़ाँ नहीं तोड़ पाए थे। अब तक हमें औपनिवेशिकता जकड़े हुए थी। पहली बार हम औपनिवेशिकता से मुक्ति की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। हम कह सकते हैं कि भारत नये सिरे से अपनी ‘डेस्टिनी’ […] Read more » औपनिवेशिकता की बेड़ियाँ