समाज “हम मरब, कउ नहीं बचाई बाबू।” September 17, 2013 / September 17, 2013 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश कुमार चंचल चेहरे पर पड़ी झुर्रियां केवल उनके उम्र को बयान नहीं कर रही है, बल्कि उनकी जिंदगी की कहानी बताती है। उस काली मनहूस रात को याद कर जीतलाल की आँखों में आज भी आंसू भर जाते हैं। “उस दिन आधी रात को सब साहब लोग की गाड़ी गांव में आने लगी। साहब […] Read more » "हम मरब कउ नहीं बचाई बाबू।"