समाज मीणा भाषा की उत्पत्ति और विकास December 3, 2018 by अभिलेख यादव | 1 Comment on मीणा भाषा की उत्पत्ति और विकास श्री पिंटू कुमार मीना “निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति को मूल, बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटे न हिय को शूल ।” भारतेंदु हरिश्चन्द्र का उक्त प्रसंग आज भी प्रासंगिक बना हुआ है । हम अपनी भाषा के अभाव में न अपना विकास पर पाएंगे और न ही अपने हृदय को आत्मसंतुष्टि दे पाएंगे […] Read more » उदई कऊ- (सिगरी) गंगापुर ग्रामीण गड्डमड्ड- (ऊपर-नीचे) चीना- (चिन्ह) जाहिरा डांडी डोल/डोड़- (मेंड) दचकी- (पिचकी) निपजी-(उपजी) न्यांहा- (यहाँ) पदड़ता- (भागता) पिण- (लेकिन) बड़ीला बामणवास तहसील ब्यालू- (शाम का खाना) भेड़े- (इकट्टे) भौत- (बहुत) रपेटी- (दवाई) राणीला लग्गे-ढग्गे- (आस-पास) लड्डी- (ऊट गाड़ी) लोही- (खून) तथा छांद हम्बे रे- (हाँ रे)