प्रवक्ता न्यूज़ कनिष्क: वो दरिया था,आकर उन्हे बुझा जाता August 5, 2009 / December 27, 2011 by कनिष्क कश्यप | Leave a Comment मैं शौक से मनाता जश्न उनकी जीत का उस रौशनी में लेकिन कई घर जल रहे थे मलाल तो था जरूर उनके जलने का उनकी छावं मे हम कब से पल रहे थे वो दरिया था,आकर उन्हे बुझा जाता दूर कहीं शायद पत्थर पिघल रहे थे नही थी खबर ज़िन्दगी बसती हैं यहीं हम तो […] Read more » poem कनिष्क कश्यप कनिष्क की कविताएं कविता कविताएं ग़जल