कविता प्रतीक्षा में है बहुत कुछ May 26, 2018 / May 26, 2018 by पंखुरी सिन्हा | Leave a Comment हम कभी तो निकलेंगे धर्म के जंजाल से जातियों के मोहजाल से कर्मकांडो के मायाजाल से कि प्रगति सचमुच हमारी राह देखती है— पहुंचेंगे उस तक कभी हम जाने किस सूर्योदय के सुनहले पंख लिए होकर विजित जाने किन अस्मिताओं की कैसी लड़ाइयों में जो उभरती ही रहती हैं निरंतर शान्ति के पटल पर अकारण […] Read more » कर्मकांडो कुछ खेतों जंगलों प्रतीक्षा में है बहुत