राजनीति देश कोरे ‘‘वाद’’ या ‘‘वादों’’ से ही नहीं बनेगा October 17, 2016 / October 17, 2016 by ललित गर्ग | 1 Comment on देश कोरे ‘‘वाद’’ या ‘‘वादों’’ से ही नहीं बनेगा बात तो बहुत सीधी-सी है। एक समझदार बालक भी कह सकता है कि घड़े में पानी इसलिए भर गया कि उसमें बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं था। घड़ा पूर्ण था किन्तु चलनी में तो अनेक छिद्र थे, भला उसमें पानी का ठहराव कैसे संभव होता? Read more » देश कोरे ‘‘वाद’’ या ‘‘वादों’’ से ही नहीं बनेगा