कविता धन धरती का चीज बेटी कोख में उगती October 8, 2020 / October 8, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकबेटा पतोहू ठुकराए तो बेटी काम आती,बेटा गेहूं की बाली है तो बेटी धान होती! वह मौत भी क्या जो आंखें नम न हो,कोई रोए ना रोए जनाजे पर बेटी रोती! बेटा है कि सबकुछ बांट लेता, डांट देता,बेटी खामोश हो के मन मसोस के रहती! बेटी को बेदखलकर नाम मिटा देते घर […] Read more » धरती का चीज बेटी