कविता
पड़ गये झूले,प्रियतम नहीं आये
/ by आर के रस्तोगी
आर के रस्तोगी पड़ गये झूले,प्रियतम नहीं आये कू कू करे कोयल,मन को न भाये मन मोरा नाचे,ये किसको बुलाये जिसकी थी प्रतीक्षा,वो नहीं आये घिर घिर बदरवा,तन को तडफाये काली काली घटा,ये मुझको डराये पिया गये प्रदेश,वापिस नहीं आये क्या करू मैं,मुझे कोई तो समझाये यमुना तट मेरा कृष्ण बंशी बजाये सखिया सब आई,राधा […]
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