पड़ गये झूले,प्रियतम नहीं आये

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आर के रस्तोगी 

पड़ गये झूले,प्रियतम नहीं आये
कू कू करे कोयल,मन को न भाये
मन मोरा नाचे,ये किसको बुलाये
जिसकी थी प्रतीक्षा,वो नहीं आये

घिर घिर बदरवा,तन को तडफाये
काली काली घटा,ये मुझको डराये
पिया गये प्रदेश,वापिस नहीं आये
क्या करू मैं,मुझे कोई तो समझाये 

यमुना तट मेरा कृष्ण बंशी बजाये
सखिया सब आई,राधा नहीं आये
रह गई राधा अकेली कृष्ण न आये
उसे झूला कौन सखी अब झुलाये

नन्नी नन्नी बूंदे,ये अगन लगाये
पी पी करे पपीहा,किसे ये बुलाये
अमवा की डार पर झूला डलवाये
रेशम की डोरी,संदल पटरा बिछाये

सखिया नहीं आई पिया नहीं आये
ऐसे में मुझे,कौन झूला झुलाये
सबके पिया आये,मेरे नहीं आये
ऐसा बैरी सावन किसी का न आये

सूखा सूखा सावन,मुझे नहीं भाये
जब पिया मुझे झुलाने नहीं आये
भीगी भीगी ऋतू ये सूनी सूनी राते
पिया नहीं अब, किससे  करू बाते
पड गये झूले,प्रियतम नहीं आये
कू कू करे कोयल मन को नही भाये

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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