कविता राष्ट्रबंधुजी April 4, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मिला एक दिन दादाजी से, वह दादा हैं राष्ट्रबंधुजी| बच्चों की खातिर सब करने, आमादा हैं राष्ट्रबंधुजी| नहीं कोई छल छंद दिखावा, बस, सादा हैं राष्ट्रबंधुजी, बच्चों का संसार सुनहरा, एक वादा हैं राष्ट्रबंधुजी| Read more » poem on nation-unity राष्ट्रबंधुजी