व्यंग्य व्यंग्य : जाले अच्छे हैं! November 16, 2010 / December 19, 2011 by अशोक गौतम | 2 Comments on व्यंग्य : जाले अच्छे हैं! मां बहुत कहती रही थी कि मरने के लिए मुझे गांव ले चल। पर मैं नहीं ले गया। सोचा कि गांव में तो मां रोज ही मरती रही। एक बार मां शहर में भी देख कर मर ले तो मेरा शहर आना सफल हो। वह आजतक किसीके आगे सीना चौड़ा कर कुछ कह तो नहीं […] Read more » Webs are good chuckle अशोक गौतम व्यंग्यजाले अच्छे हैं