कविता साहित्य
मंजिल
/ by डा.सतीश कुमार
डॉ. सतीश कुमार मंजिल मिलेगी ही, चाहे कितनी ही दूर हो। शारीरिक, मानसिक थकावट, हताशा, निराशा । हैं ये रूकावटें, लक्ष्य तक पहुंचने के सफर में। सीना तान जिसने सहा है, मंजिल तक वही गया है। जूझना है जीवन की, प्रत्येक उस चुनौती से, रोकती हैं जो, व्यक्ति को बहुमुखी व्यक्तित्व बनने से। विकास एकांगी […]
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