जातिवाद और साम्प्रदायिकता का जहर इस कदर फैला

—विनय कुमार विनायक
जातिवाद और साम्प्रदायिकता का जहर इस कदर फैला
कि भारत माता का आंचल हो गया दागदार व मटमैला
आज आरक्षण व अन्य सुविधाएँ इसी आधार से मिलती
मगर देश को जाति व साम्प्रदायिक व्यवस्था ही छलती!

जातिवाद व साम्प्रदायिकता को नियंत्रित करना ही होगा
भारत के खिलाफ साजिश करनेवाले को मसलना ही होगा
ये नहीं हो सकता कि जातिवादी उन्माद फैलाके देश बांटे
अपने भाई भतीजे जाति विरादरी को नाजायज फायदा दे!

यदि कोई स्वजाति विरादरी से प्रीति, विजाति से घृणा करे
तो सरकार जाति मजहब आधारित लाभ योजनाएँ बंद करे
जाति विरादरी के लिए मताधिकार प्रयोग छल-छंद रोक दे
वैसे जयचंद मिर्जाफर को ना पालो-पोसो जो सिर्फ धोखा दे!

वोट बैंक की गंदी राजनीति का पटाक्षेप शीघ्र करना होगा
जाति के लिए जाति का मतदान पर विराम लगाना होगा
स्वजाति विरादरी के गुंडे मवाली का महिमामंडन रोक दो
देशभक्ति और ईमानदारी के लिए संपूर्ण ताकत झोंक दो!

जाति का स्वजाति विरादरी को वोट की कीमत शून्य करो
जातिवाद व मजहबपरस्ती रोकने हेतु यही एक पुण्य करो
हमने विश्व को शून्य दिया शून्यवाद दिया गिनना सिखाया
मगर आजतक देखा हमने बँटवारे में देश की छलनी काया!

शून्य की क्षमता समझो, शून्य को पुण्य कार्य में लगा दो
प्रगतिरोधी जातिवादी फिरकापरस्त संख्याबल सीमित करो
दो से अधिक संख्या बढ़ाए जो वो सभी लाभ से वंचित हो
धर्म को धंधा मजहब को गंदा करे उसे मानवद्रोही समझो!

हर वैसा धार्मिक मजहबी जन होता देश का शातिर दुश्मन
जो ईश्वर अल्लाह खुदा व धर्म ग्रंथ के बहाने फैलाता वहम
वैसा कोई धर्म मजहब नहीं जिसके रब का भेदभावपूर्ण मन
उनसे देश बचाना होगा जो मत के नाम बने मतलबी दुर्जन!

लोकतंत्र को झूठ तंत्र छल प्रपंच मजहबी षड्यंत्र से बचा लो
क्रूर चंगेज तैमूर बाबर औरंगजेब के झंडाबरदार को सजा दो
आक्रांता कासिम गजनवी गुलाम खिलजी तुगलक सैयद लोदी
मुगल का जो गौरवगान करे उसके मतदान पे पूर्णविराम हो!

भारत विकसित हो विदेशी मजहब के गुलामों की घरवापसी हो
धर्म मजहब के नाम जो जहालत फैलाए उसको नियंत्रित करो
मानवता से ऊपर ना कोई अल्लाह खुदा ईश्वर जन्नत दोजख
सभी धर्म के सार को ग्रहणकर अंधेरगर्द फैला ना सके दहशत!

वैसा कोई इंसान नहीं होता जो माँ पिता बड़ों के पैर ना छूता
वैसा कोई मत नहीं जिसमें स्वदेश की माटी वंदना योग्य नहीं
वैसा कोई धर्म मजहब नहीं जो विधर्मी को भाई नहीं समझता
उनको अताताई समझो जिसमें नहीं हो दया अहिंसा व ममता!

इस लोकतंत्र को वोटतंत्र जनसंख्या तंत्र गिरोहतंत्र होने से रोको
जिसकी संख्या बढ़ेगी वो कम संख्या दर वालों को निपटा देगा
सत्य अहिंसा दया धर्म पर हावी होगा गिरोहबाज कुकर्मी लफंगा
लोकतंत्र की ये खामी धर्मनिरपेक्षता के नाम अधर्मी करते दंगा!
—विनय कुमार विनायक

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