चौराहे पर खड़े हम

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garibजिसके सहारे था, उसी ने मुझे बेसहारा किया

साहिल ने भी  अब  मुझसे  किनारा किया ।

 

दिन गुजर गया, पर किसी ने खबर न ली

शाम को उसने मुझे दूर से  इशारा किया ।

 

खट्टी-मीठी यादों का नाम है मेरी जिंदगी

यादों के सहारे ही हमने अबतक गुजरा किया ।

 

जो  कुछ  झूठ  है, वही  सब  सच  है  यहाँ

देश के कर्णधारों (?) ने तैयार यह नारा किया ।

 

जो गन्दा है, भूखा है, नंगा है, उसे मत देखो

उन्होंने  हिदायत दी, पर मैंने वही दुबारा किया ।

 

कौन  थे  वे  लोग, कहाँ  गए  वे  लोग

जिन्होंने हमें आज चौराहे पर खड़ा किया ।

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