कविता

इंसान हूं नादान हूं…

-नेहा राजोरा-
poem

इंसान हूं नादान हूं…
बेसब्र हूं क्योंकि फिक्रमंद हूं…
अपनी दुआओं पर है मुझको ऐतबार,
तेरे रहमों करम पर भी है मुझको इख्तियार,
तू सोचता होगा है, तुझ पर यकीन,
फिर भी क्यों अंजान हूं…
कहा न इंसान हूँ नादान हूं…
बेसब्र हूं क्योंकि फिक्रमंद हूं…