ओले


भागे छक्कू लाल छकोले,
सिर पर गिरे पड़ा पड़ ओले।

छक्कू दिल्ली भागे आए।
पीछे ओले भी पछियाये।

छक्कू जी अब हैं हैरान।
बचे ओलों से कैसे जान।

छक्कू ड्रायर एक ले आये।
अब तो सब ओले घबराए।

ओले जान छोड़कर भागे।
पल में पानी हुए अभागे।

Previous articleदख़ल ज़रूरी है आह्लादिनी का
Next articleलैंगिक समानता बनाम सामाजिक संतुलन
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

12,712 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress