भागे छक्कू लाल छकोले,
सिर पर गिरे पड़ा पड़ ओले।
छक्कू दिल्ली भागे आए।
पीछे ओले भी पछियाये।
छक्कू जी अब हैं हैरान।
बचे ओलों से कैसे जान।
छक्कू ड्रायर एक ले आये।
अब तो सब ओले घबराए।
ओले जान छोड़कर भागे।
पल में पानी हुए अभागे।
भागे छक्कू लाल छकोले,
सिर पर गिरे पड़ा पड़ ओले।
छक्कू दिल्ली भागे आए।
पीछे ओले भी पछियाये।
छक्कू जी अब हैं हैरान।
बचे ओलों से कैसे जान।
छक्कू ड्रायर एक ले आये।
अब तो सब ओले घबराए।
ओले जान छोड़कर भागे।
पल में पानी हुए अभागे।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता ने जन-जागरण में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन आज यह जनसरोकारों की बजाय पूंजी व सत्ता का उपक्रम बनकर रह गई है। मीडिया दिन-प्रतिदिन जनता से दूर हो रहा है। ऐसे में मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठना लाजिमी है। आज पूंजीवादी मीडिया के बरक्स वैकल्पिक मीडिया की जरूरत रेखांकित हो रही है, जो दबावों और प्रभावों से मुक्त हो। प्रवक्ता डॉट कॉम इसी दिशा में एक सक्रिय पहल है।