ज्येष्ठ माह की दोपहरी

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आर के रस्तोगी 

देख दोपहरी ज्येष्ठ की,गर्म हो गया गात |
झुलस रहे है सब पेड़ो के नये कोमल पात ||

छाया भी छाया मांग रही ,है बड़ी बैचेन |
छाया को छाया मिल जाये तब आये चैन ||

प्यासा पथिक पूछ रहा है कहाँ मिलेगा नीर |
एक पग चलना है मुश्किल हो रहा वह अधीर ||

सूख गये है सभी सरोवर,मांग रहे है सब जल |
कर रहे विनती वरुण देव से दे दो हम को जल ||

प्यासे पशु पक्षी ढूँढ रहे है मिल जाये उनको पानी |
चारो तरफ निगाहें दौड़ा रहे दिखाई दे कही पानी ||

दिन बडे हो गये है ,छोटी हो गयी है रात |
ऐसी छोटी रात में कैसे होगी पूरी बात ||

गर्म गर्म लू ऐसे चल रही,जैसे शोलो की बारात |
इस ज्येष्ठ माह की दोपहरी,में हो रहे है आघात

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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