कविता

 नर्स की चाह 

सुंदर श्वेत परिधानों में 

थामे औषध बाहों में 

रोग भगाने की शक्ति 

है उसकी मुस्कानों में 

सेवा भाव खूब समाया 

रोगी को दे निरोगी काया 

गंगा सी निर्मल है 

 छाया मां के 

आंचल सी शीतल है 

घर से अस्पताल 

अस्पताल से घर 

ही उसकी राह है 

मर्ज रोगी का भगा 

नव जीवन देना 

नर्स की चाह है ।

नरेन्द्र कुमार

पंतनगर, उत्तराखण्ड