
अम्मा की उम्र यही होगी क़रीब 78 साल और बाबूजी होंगे 82 के। अम्मा बड़ी लगन से पूजा पाठ व्रत उपवास करती थीं उनके व्रत उपवास पूजा पाठ सब सफल हुए क्योंकि उनके दोनों बेटे बहुत लायक निकले, अच्छी बहुएं मिली, आदर सत्कार मिला और किसी को क्या चाहिये।
उम्र के साथ स्वास्थ्य में गिरावट आई तो पूजा पाठ बढ़ता गया, सब के कहने पर व्रत उपवास कुछ कम हो गये फला हार बढ़ गये.. बस करवा चौथ निर्जल करना नहीं छूटा। जब भी कोई उनसे कहता कि कुछ फला हार ही लेकर व्रत कर लो तो वे कहती ” मुझे जीवन में सब मिल गया। तुम्हारे बाबूजी से पहले जाने का हक ज़रूर मुझे पाना है।” वे अपनी ज़रूरी दवाइयाँ भी नहीं लेती थी। एक दो साल यही बहस रही पर अम्मा ने करवा चौथ हमेशा विधिवत किया। अचानक अम्मा की तबीयत ख़राब हो गई, बुखार उतर ही नहीं रहा था। अस्पताल में भरती करना पड़ा, टाइफ़ाइड हुआ था। कुछ दिन में अम्मा ठीक तो हो गईं पर कमज़ोरी नहीं गई।
बाबूजी को भी मधुमेह और उच्च रक्त चाप था पर अपनी आयु के हिसाब से वे ठीक थे। एक दिन बाबूजी सोते रह गये चिर निंद्रा में…
उनके बाद अम्मा करीब साल भर ज़िंदा रही और कई बार यही बात दोहरा देती “मेरे करवा चौथ के व्रत में कौन सी कमी रह गई थी जो तुम मुझसे पहले चले गये”।