उठो द्रोपदी अब शस्त्र संभालो ,

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उठो द्रोपदी अब शस्त्र संभालो ,
कलयुग में कृष्ण नहीं आयेगे |
अपनी रक्षा स्वयं ही करनी ,
कोई तुम्हे बचाने नहीं आयेगे ||

कब तक तुम आस रखोगी ?
बिके हुये इन अखबारों से |
किस से हेल्प मांग रही हो,
दुशासन के दुष्ट दरबारों से ||
स्वयं जो लज्जाहीन खड़े है ,
वे क्या तुम्हारी लाज बचायेगे ?
उठो द्रोपदी अब वस्त्र संभालो ,
कलयुग में कृष्ण नहीं आयेगे ||

कल तक था वह अँधा राजा ,
अब वह गूंगा बहरा भी है |
होठ सिल दिए है जनता ने ,
कानो पर भी अब पहरा है ||
तुम्ही कहो ये अश्रु तुम्हारे ,
किसको क्या ये समझायेगे |
उठो द्रोपदी अब शस्त्र संभालो ,
कलयुग में कृष्ण नहीं आयेगे ||

छोडो मेहँदी अब शस्त्र संभालो ,
खुद ही अपना चीर बचा लो |
शतरंज बिछाये बैठे ये शकुनी ,
चाहे कोई नई चाल चला लो ||
हर बार मात देगे ये खिलाडी ,
इनसे तुम बच नही पाओगी |
उठो द्रोपदी शास्त्र संभालो ,
कलयुग में कृष्ण नहीं आयेगे ||

छाया है चारो तरफ अँधेरा ,
कहीं रौशनी नहीं दिखती है |
बीच बाजारों में अब तुम्हारी ,
सरे आम इज्जत बिकती है ||
फिर भी तुम आशा रखती हो,
क्या तुम्हे ये बचा पायेगे ?
उठो द्रोपदी अब शस्त्र उठाओ
कलयुग में कृष्ण नहीं आयेगे ||

मोमबत्ती जलाकर,अश्रु बहाकर ,
ये मौन जलूस निकालते है |
जब तुम्हारा बलात्कार होता ,
तब ये कहाँ छिप जाते है ?
ये दिखावटी बाते व आडम्बर ,
अब कुछ नहीं कर पायेगे |
उठो द्रोपदी शस्त्र संभालो ,
कलयुग में कृष्ण नहीं आयेगे ||

आये दिन ये घटनाये होती ,
अखबारों में ये खूब छपती है |
टी वी चैनलों पर ये अब ,
नंगी आँखों से दिखती है |
देखने वाले इन खबरों को ,
अपने कान में रुई लगायेगे |
उठो द्रोपदी वस्त्र संभालो,
कलयुग में कृष्ण नहीं आयेगे ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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