लोकसभा चुनाव में नही टिक पाई कांग्रेस की विधानसभाई एकता

डॉ अजय खेमरिया

अशोक सिंह लोकसभा चुनाव के लिये ग्वालियर में कलेक्टर भरत यादव की पोस्टिंग कराते है सिंधिया को यह नागवार गुजरा उन्होंने तत्काल भरत यादव पर आपत्ति ली और कुछ दिन बाद ही भरत यादव हटा दिये गए। सिंधिया परिवार पर सर्वाधिक अप्रिय भाषण करने वाले पुराने बसपाई फूल सिंह बरैया को डॉ गोविंद सिंह ने कांग्रेस में शामिल करा दिया।जबाब में कांग्रेस की पूरी ठाकुर लॉबी के  शत्रु राकेश चौधरी को सिंधिया ने अपने मंच से कांग्रेस में शामिल कर लिया। कुछ इस तरह  आपसी जंग का मैदान बन गया है ग्वालियर चंबल संभाग ।यहां कांग्रेस की राजनीति राजा बनाम महाराजा के बीच रोचक दौर में पहुंच गई है अंचल में लोकसभा की चार सीटें है महाराजा के प्रभाव से यहां विधानसभा में कांग्रेस ने 20 साल का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करते हुऐ मप्र को सत्ता से बाहर करने की निर्णायक पटकथा लिखी।माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की इस ताकत का फायदा मिलेगा लेकिन प्रत्याशी चयन के बाद जो तस्वीर सामने आ रही है वह कांग्रेस के लिये चिंता का सबब बन गया है हालात यह है कि राजा औऱ महाराजा की लड़ाई खुलकर सामने दिख रही है अंचल की 4 में से 2 सीटों पर केंडिडेट सिंधिया की खुली असहमति औऱ विरोध के बाबजूद दे दिए गए है भिंड में जिस  देबाशीष जरारिया को कांग्रेस का टिकट दिया गया है उसे टिकट देने के लिये सिंधिया ने वीटो लगा रखा था लेकिन दिग्विजयसिंह और सीएम के दबाब में जरारिया टिकट हांसिल करने में कामयाब रहे ,सिंधिया चाहते थे कि बीजेपी से मुरैना के मेयर औऱ पूर्व सांसद अशोक अर्गल को भिंड की सुरक्षित सीट से टिकट दिया जाए।उनकी दूसरी पसन्द मुरैना के पूर्व  सांसद बारेलाल जाटव थे जिन्हें महल का विश्वास पात्र माना जाता है और उनके बारे में कहा जाता है कि वे महल में पुताई का काम करते थे और स्व माधवराव सिंधिया ने उन्हें टिकट देकर संसद में पहुँचा दिया था।लेकिन सिंधिया की दोनों पसन्द को दरकिनार कर टिकट बसपा में सक्रिय रहे देवाशीष को दे दिया गया।इस मामले में कमलनाथ सरकार के सहकारिता मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने बड़ी भूमिका निभाई जो सिंधिया के कट्टर विरोधी रहे है ।दूसरा मामला ग्वालियर सीट का है जहां से चौथी बार अशोक सिंह को कांग्रेस का टिकट मिला है जबकि सिंधिया नही चाहते थे कि अशोक सिंह को टिकट मिले वह सुनील शर्मा, मोहन सिंह राठौर में से किसी को चाहते थे।अशोक सिंह मूलतः दिग्विजयसिंह खेमे से जुड़े है उनकी नजदीकियां कमलनाथ के अलावा अरुण यादव से भी रही है उनके व्यापक सम्पर्क औऱ आर्थिक रुतबे से भी कांग्रेस में उनके विरोधी कम नही है।निजी तौर पर भी अशोक सिंह एक मिलनसार नेता है उनका सिंधिया से छतीस का आंकड़ा दिग्विजय खेमे के कारण ही अकेला नही है सच्चाई यह है कि वे महल को 2007 औऱ 2009 के चुनाव में कड़ी टक्कर दे चुके है। मप्र में सरकार बनने के  बाद से ही अशोक सिंह ने अपनी चुनावी तैयारी शुरू कर दी थी उन्होंने इसी जमावट में मुरैना के कलेक्टर भरत यादव को ग्वालियर पदस्थ करा दिया जिसे लेकर सिंधिया ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराकर दो महीने में ही ट्रांसफर करा दिया।भरत यादव औऱ अशोक सिंह दोनो ही यादव जाती से आते है।इसी नाराजगी का नतीजा रहा कि अंतिम दौर में अशोक सिंह अपने संपर्को के जरिये ही टिकट फाइनल करा पाए।ग्वालियर औऱ भिंड के टिकट विशुद्ध रुप से सिंधिया के खिलाफ जाकर दिए गए है वहीँ मुरैना का टिकट  पूर्व मंत्री रामनिवास रावत को सिंधिया कोटे से ही दिया गया है लेकिन इस टिकट में एक बड़ा अंतर्विरोध खुद सिंधिया खेमे से जुड़ा है इस संसदीय सीट के 7 विधायक है और आधे से ज्यादा ने सिंधिया से रामनिवास को टिकट नही देने का आग्रह किया था 2009 में रामनिवास रावत एक लाख से ज्यादा वोट से नरेंद्र सिंह तोमर से हार चुके है।हाल ही वे अपनी विजयपुर सीट से चुनाव हारे है।उनका जातीय गणित भी बहुत सशक्त नजर नही आता है श्योपुर के विधायक बाबू जंडेल मीणा उनके खिलाफ है उनका एक वीडियो भी हाल ही में वायरल हुआ है जिसमे वे रामनिवास के विरुद्ध टिप्पणी कर रहे है।सुमावली के विधायक एडल सिंह कंसाना सिंधिया के विरुद्ध खुलकर बोलते रहे है उन्होंने सार्वजनिक रूप से मंत्री नही बनाये जाने के लिये सिंधिया को जिम्मेदार बताया था।उनकी नाराजगी बढ़ाने का काम सिंधिया की ओर से व्रन्दावन सिंह सिकरवार औऱ उनके बेटे मानवेन्द्र गांधी को कांग्रेस में शामिल कराने ने किया है दोनो कल रामनिवास के नामांकन जुलूस में शामिल हुए जबकि 1993से लगातार एडल सिंह का चुनावी मुकाबला सिकरवार परिवार से हो रहा है इस विधानसभा चुनाव में कंसाना मानवेन्द्र गांधी को हराकर ही विधायक बने है।इन दोनों परिवारों में राजनीतिक मतभेद दुश्मनी के स्तर तक है।यह वहीं व्रन्दावन सिकरवार है जिन्होंने 2014 में मुरैना से लोकसभा का चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था जिसके कारण काँग्रेस केंडिडेट डॉ गोविंद सिंह तीसरे नम्बर पर पहुँच गए।कांग्रेस राजनीति में डॉ गोविंद सिंह के खिलाफ व्रन्दावन सिकरवार को बसपा से लड़ाने के पीछे सिंधिया की सहमति बताई जाती है क्योंकि सिकरवार मूलतः  सिंधिया से जुड़े रहे है और डॉ गोविंद सिंह से सिंधिया के बीच छतीस का आंकड़ा जगजाहिर है।जो आज भी बरकरार है डॉ गोविंद सिंह ने सिंधिया के विरोध के बाबजूद फूल सिंह बरेया को कांग्रेस में शामिल कराया है जबकि बरैया हमेशा से सिंधिया के विरोधी रहे है उन्होंने स्व माधवराव सिंधिया के विरुद्ध ग्वालियर से लोकसभा चुनाव के दौरान बेहद आपत्तिजनक टिप्पणीयां की थी कांग्रेस में शामिल होने से पहले भी बरेया सिंधिया परिवार के विरुद्ध लगातार बोलते रहे है।इस आपसी खींचतान के आगे बढ़ने के पूरे आसार है क्योंकि ग्वालियर के लगभग सभी मंत्री गुना में सिंधिया के प्रचार में लगे है जबकि ग्वालियर में अकेले अशोक सिंह समन्वय के लिये जूझ रहे है जबकि इमरती देवी,लाखन सिंह,प्रधुम्न सिंह जैसे मंत्री अपना क्षेत्र छोड़कर गुना में बकायदा जिम्मेदारी के साथ विधानसभा बार लगे हुए है।यही हाल है मुरैना में जंडेल सिंह ,एडल सिंह कंसाना के,अलवा सभी दिग्गिराजा समर्थक भोपाल कूच कर गए है राजा खेमे के लोग 2014 में डॉ गोविंद सिंह की हार को भुलाने के लिये तैयार नही है।भिंड की सीट पर भी दोनो खेमे आमने सामने है सिंधिया ने अपनी नामंकन रैली में पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह को कांग्रेस ज्वाइन करा दी जिसे लेकर राजा खेमे में तीखी प्रतिक्रिया है क्योंकि राकेश सिंह दिग्विजय औऱ अजय सिंह पर गंभीर आरोप लगाकर बीजेपी में शामिल हुए थे उनके आरोपों में अर्जुन सिंह के पिता तक पर आपत्तिजनक टिप्पणी राकेश चौधरी ने की थी भिंड की राजनीति में ठाकुर बनाम ब्राह्मण का ट्रेन्ड अभी भी बरकरार है और राकेश चौधरी को जिस तरह कांग्रेस में शामिल किया गया है उसे लेकर डॉ गोविन्द सिंह सहज नही है।जाहिर है अंचल में दोनों खेमों के बीच एक दूसरे को पटकने का खेल वैसे ही शुरु हो चुका है जिसके लिये कांग्रेस बदनाम है जिस एकता के साथ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी का क्लीनस्वीप किया था उसके आसार इस गुटीय संघर्ष के मद्देनजर लोकसभा में दोहराए जाने की संभावना क्षीण नजर आ रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress