राजनीति

2017 यूपी चुनावों में मुश्किल है सपा की राह

-मदन तिवारी-

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उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में सत्‍ता पर काबिज हुए समाजवादी पार्टी को तकरीबन तीन वर्षों से ज्‍यादा का वक्‍त बीत चुका है। फरवरी – मार्च 2012 के माह में हुए उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने बसपा, कांग्रेंस समेत तमाम अन्‍य राजनैतिक दलों को चारों खाने चित करते हुए पूर्णं बहुमत से प्रदेश में सरकार बनाई थी। पूर्णं बहुमत से सरकार बनाने के बाद सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव ने उत्‍तर प्रदेश में बतौर मुख्‍यमंत्री अपने सुपुत्र व विदेश से पढ़ाई करके आए अखिलेश यादव को बनाया था।

प्रदेश में मुखिया के तौर पर सत्‍ता संभालते हुए मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने जनता के बीच एक नई उम्‍मीद जगाई थी इसलिए जनता को भी ऐसा प्रतीत होने लगा था कि आने वाले दिनों में प्रदेश से भ्रष्‍टाचार, लूट, डकैती आदि जैसी चीजें जल्‍द ही दूर हो जाएंगी। इसी कड़ी में आगे बढ़ते हुए अखिलेश यादव ने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसे कई निर्णय लिए जिससे कभी सपा सरकार विपक्ष के हाथों घिरती नजर आई तो वहीं कई बार अपने अपने कार्यो, नीतियों व योजनाओं से विपक्षियों की जुबान पर ताले भी जड़े।

बहरहाल, आने वाले 2017 में सपा सरकार उत्‍तर प्रदेश में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने जा रही है। इसी कारणवश समाजवादी पार्टी पूरी तरह से आगामी उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुट गई है। स्वाभाविक है कि आने वाले उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव जनता के समक्ष अपने कार्यकाल में लिए गए उन तमाम कार्यों के बारे में बताएंगे जिससे समाजवादी पार्टी की जनता के सामने छवि पहले से बेहतर हो सके।

अगर हम वर्तमान कार्यकाल में सपा सरकार की ओर से योजनाओं के सतह पर पूरा होते दिखाई देने की बात करें तो सरकार मौजूदा वक्‍त तक कई योजनाओं के कुछ प्रतिशत तक कार्य पूरा करने में सफल होती हुई दिख रही है। मेट्रो परियोजना इन्‍हीं तमाम परियोजनाओं में से एक है। 2017 विधानसभा चुनावों में जनता के सामने वर्तमान कार्यकाल की खूबियों के बारे में बताते हुए यह परियोजना काफी महत्‍वपूर्ण योगदान अदा कर सकती है। प्रदेश मुख्‍यमंत्री के अनुसार वर्ष 2013 में हुए मेट्रो परियोजना की शुरूआत के बाद से ही इसका कार्य तेज गति से चल रहा है और 2017 विधानसभा चुनावों से इसका पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा भी कर लिया जाएगा।

इसके इतर एक बात यह भी गौर करने वाली है कि तमाम सफल योजनाओं में कुछेक ऐसी भी योजनाएं व सरकार के ऐसे निर्णय हें जो समाजवादी पार्टी की जनता के बीच नकारात्‍मक छवि बनाते हैं। प्रदेश की लचर कानून व्‍यवस्‍था व हालिया वक्‍त में एमएलसी के नामांकन के तौर पर राज्‍यपाल को सौंपी जाने वाली तमाम नामों वाली सूची पर उठने वाले सवालिया निशान जनता के सामने सरकार की नकारात्‍मक छवि बनाने का काम कमोबेश कर रहे हैं।

इसके सिवा सत्‍ता में आते ही प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक राजा भैया को जेल मंत्री बनाते ही मुख्‍यम्ंत्री के इस फैसले पर विवाद खड़ा हो गया था जिसके बाद आनन फानन में राजा भैया को खाद्य व रसद मंत्रालय का मंत्री बनाया गया। महज इतना ही नही इसके बाद भी प्रतापगढ में एसओ की मौत से भी सरकार की छवि दागदार हो चुकी है।

खैर, यह तो आने वाले उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के बाद ही पता चलेगा कि समाजवादी पार्टी अपने किए गए वायदों में कितनी कामयाब हो पाई है या नहीं लेकिन मौजूदा वक्‍त पर हाशिए पर पड़ी प्रदेश की हालत के हिसाब से सपा सु‍प्रीमो मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव को आने वाले चुनावों की तैयारियों पर काफी जोर देने की आवश्‍यकता दिखाई दे रही है।