विश्ववार्ता

उस पाकिस्तानी नौजवान को मेरा सलाम

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

umar daraz and virat kohliपाकिस्तान के एक नौजवान को मैं सलाम करता हूं। उमर दराज़ नाम का यह जवान दर्जी है और पाकिस्तानी पंजाब के ओकरा नामक गांव में रहता है। उसे दस साल की सजा हो गई है। आप जानते हैं कि उसका गुनाह क्या है? उसका गुनाह यह है कि उसने अपने घर की छत पर तिरंगा झंडा फहरा दिया था। क्यों फहरा दिया था? क्योंकि वह भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी विराट कोहली का घनघोर प्रशंसक है। भक्त है। कोहली ने आस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेलते हुए 26 जनवरी को 90 रन बनाए थे। पुलिस ने उमर के घर पर छापा मारा और उसे पकड़कर अदालत में घसीट ले गई। अदालत ने धारा-123ए के मुताबिक उमर को पाकिस्तान की संप्रभुता के उल्लंघन का दोषी पाया और 10 साल की सजा सुना दी!

वाह री, धारा-123 ए और वाह री, अदालत? कोई भी नागरिक किसी भी देश का झंडा अपने घर पर फहराए तो इसमें उसके देश की संप्रभुता का उल्लंघन कैसे होता है, कोई सिद्ध करके बताए? हां, अपने देश के झंडे का अपमान कतई नहीं होना चाहिए। उमर दराज़ ने क्या पाकिस्तानी झंडे का अपमान किया है? नहीं। क्या उसने पाकिस्तानी टीम के भारत से हारने पर भारत का झंडा फहराया है? नहीं, बिल्कुल नहीं। उसने तो सिर्फ एक मानवीय प्रेम प्रकट किया है। यह प्रेम कोई बंधन नहीं मानता। न जात का, न मज़हब का, न रंग का और न ही देश का। प्रेम का बंधन मनुष्य को सारे बंधनों से मुक्त कर देता है। इस बंधनमुक्त क्रिकेटप्रेमी नौजवान को सजा देनेवाले कानून और अदालत पर मुझे तरस आ रहा है।

मैं तो वह दिन देखने के लिए बेताब हूं, जबकि सारे पाकिस्तानी नागरिक अपने घरों पर भारतीय झंडा उड़ा सकें और सारे भारतीय नागरिक अपने घरों पर पाकिस्तानी झंडा उड़ा सकें। इतना ही नहीं, मैं चाहता हूं कि भारत के सभी अड़ोसी-पड़ोसी देशों के नागरिक सभी देशों के झंडे अपने घर पर फहरा सकें। मुझे पता है कि मेरे जीवन-काल में यह सपना पूरा नहीं हो सकता, क्योंकि दक्षिण एशिया के नेतागण यूरोपीय नेताओं की तरह दूरंदेश, धैर्यवान और साहसी नहीं हैं। वे बेचारे नोट और वोट के चक्कर में ही पगलाए रहते हैं। महान सपनों को साकार करने की उन्हें फुर्सत ही कहां है? लेकिन उमर दराज़ की उम्र दराज हो, लंबी हो ताकि उसकी पीढ़ी इस सपने को साकार हुआ देख सके। यह तो होना ही है।