लघुकथाएं

shortआलोक कुमार सतपुते

गोली मार देंगे…
उस दंग़ाग्रस्त शहर में कफ़्र्यू लगा हुआ था । शहर सेना के हवाले कर दिया गया था। दंग़ाइयों को देखते ही गोली मार देने के आदेश थे। एक पत्रकार ने सेना केे मेज़र से जानना चाहा कि वे दंगो़ं को किस तरह से रोकेंगे। इस पर मेज़रसाहब का ज़वाब था- ‘‘यदि दंग़ाइयों ने उत्पात मचाने का प्रयास किया, तो हम उन पर कार्रवाई करेंगें। यदि उन्हांेने किसी के घर में आग़ लगा दी, तो हम उन पर कड़ी कार्रवाई करेंगे, और यदि इससे आगे बढ़कर वे हत्याएँ करने लगें, तो हम उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेंगें।’’
‘आप तो नेताओं की भाषा बोल रहे हंै ।’ पत्रकार ने विस्मित भाव से कहा ।
‘‘भई हम भी क्या करें, लोकतांत्रिक देश के सैनिक जो ठहरे…।’’ मेज़रसाहब ने ज़वाब दिया।
‘तो भी…इस माहौल में जहाँ दंग़ाईयों को देखते ही गोली मारने के आदेश हुए हंै, आपके मँुह से तो एक लाइन में ज़वाब निकलना था-गोली मार देंगे ।’ पत्रकार ने कहा।
‘‘अब आप अपनी बकवास बंद करिये, वरना हम आपको गोली मार दंेगें । मेज़रसाहब ने खीजकर कहा
न्याय
उस देश में सरकार का ही एक क़ारिंदा न्यायपालिका का कार्य देखता था। उसकी अदालत में छात्रसंघ चुनावों के दौरान हुई हिंसा में हुई मौतों पर मुक़दमा चल रहा था । तीन पक्षों क्रमशः हिंसक छात्र, काॅलेज़ के प्राध्यापक और छात्रों के पालकों को आरोपी बनाया गया था।
क़ारिन्दें ने मामले में गौर कर न्याय दिया-चँूकि ये छात्र जिन पर क़त्लेआम का आरोप लगा है, छात्रसंघ चुनावों में संलग्न थे, और चूँकि छात्रसंघ चुनाव सरकारी आदेश पर हो रहे थे, अतः ये सभी छात्र सरकारी आदेशों का पालन कर रहे थे, सो इन सभी छात्रों को बाइज़्ज़त बरी किया जाता है, और ये प्रोफ़ेसर्स…चूँकि इनका दायित्व है कि ये हर छात्र को गाँधी जैसे अंहिसावादी बनाते, चूँकि ये अपने दायित्वों को निभाने में असफल रहे हैं, और इनके चलते ही क़त्लेआम हुआ है, अतः इन सभी प्रोफेसरों को फाँसी की सज़ा सुनायी जाती है, और छात्रों के अभिभावकों को चेतावनी देकर छोडा जाता है कि, ये भविष्य में अपने बच्चों को वहीं पर प्रवेश दिलायें, जहाँ गाँधी बनते हों।
फ्यूज़न -दो

कई हज़ार साल पहले भारतीय वनों में सभी बंदर मिल-जुलकर रहते थे। उनमें कोई छोटा या बड़ा नहीं था, सब बराबर थे। अपराधी प्रवृति के बंदरों को तड़ीपार कर दिया जाता था। तड़ीपार किये गये बंदर, दूर एक लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश में शरण पा जाते थे।
एक बार तड़ीपार किये गये बंदरों का एक झुण्ड वापस आया, सभी ने टोपी लगा रखी थी। वे बडे़ ही आकर्षक लग रहे थे। उन्होनें बंदरों के बीच लोकतंात्रिक व्यवस्था का ऐसा चित्र खींचा कि भारतीय वनों के बंदरों ने वर्तमान व्यवस्था को नकार कर लोकतांत्रिक व्यवस्था की मांग की, इस बीच अचानक डार्विन का विकासवाद का सिद्धांत आ गया। बंदर आदमी के रूप में आ गये। टोपीधारी बंदर टोपीधारी आदमी बन गये जो आज तक लोकतंत्र के ठेकेदार बने बैठे हैं।

चढ़ावा

एक जीर्ण-शीर्ण मंदिर से चोरी हुुई प्रतिमा संयोगवश पुलिस ने बरामद कर ली। थाने में प्रतिमा लोगों के दर्शनार्थ रख दी गयी। ख़ूब रुपये-पैसे का चढ़ावा चढ़ने लगा । थानेदार समेत सारा स्टाफ़ भक्तिभाव से पूर्ण हो गया । थानेदार ने देखा कि इस चढा़वे में तो उपर के किसी भी अधिकारी को कुछ देना नहीं पड़ता है। वह रोज उस प्रतिमा से प्रार्थना करता कि, प्रभु आप स्थायी तौर पर यहीं थाने मंे विराजमान हो जाइये । उधर प्रतिमा ने भी सोचा कि वहाँ जीर्ण-शीर्ण मंदिर में तो कोई पूछ-परख नहीं थी । यहाँ तो भक्तों की भरमार है, सो एक दिन थानेदार के प्रार्थना करने पर प्रतिमा ने ‘तथास्तु’ कहकर एक फूल उसके हाथ में दे दिया ।
कुछ दिनों बाद वहाँ थानेश्वर भगवान का मंदिर बन गया ।
अब दोनों ख़ुश हैं ।

पोस्टमार्टम

उस राज्य में विपक्षी पार्टी के एक नेता-सह-व्यवसायी की हत्या हो गयी थी। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनांे ही इस बात पर एकमत थे कि, यह राजनैतिक हत्या है। सत्तापक्ष का कहना था कि, यह हत्या जनाधारविहीन विपक्ष द्वारा हवा बनाने के लिये उन्हीं के द्वारा प्रायोजित है, जबकि विपक्ष का कहना था कि, सत्तापक्ष ने उक्त नेता के बढ़ते जनाधार से भयभीत होकर उसकी हत्या करायी है। मक़तूल का बेटा भी चीख़-चीख़ कर सत्तापक्ष को कोस रहा था। संभवतः यह उसके राजनीति में प्रवेश के लक्षण थे, बहरहाल सभी विपक्षी दलों के बीच राज्यबंद को लेकर सहमति बननी ही थी, और एक दिन-विशेष को राज्यबंद का आह्नान कर दिया गया। बंद के दौरान सूनी सड़कों पर बंद दुकानों को कवरेज़ करते हुए एक टी.वी. पत्रकार ने एक आम आदमी से इस हत्या पर उसकी राय जाननी चाही। इस पर उसका कहना था कि, यह राजनीति की, राजनीति के लिये, राजनीति के द्वारा की गई हत्या की राजनीति है।
यह अलग बात रही कि, टी.वी. पर उस आम आदमी के बयान को संपादित कर दिया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,204 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress