हे पाकिस्तान….अब तेरा क्या होगा?

0
273

pakistan
शिवदेव आर्य

अभी हाल में ही अमेरिका में हुए सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री बहुत ही आशा व विश्वास के साथ गये थे किन्तु परिणाम कुछ अलग ही दिखे। पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री ने कश्मीर को अन्तराष्ट्रिय मुद्दा बनाकर भारत की घोर निन्दा की किन्तु वो निन्दा स्वयं के लिए ही भारी पड़ गयी। संयुक्त राष्ट्र के इस आयोजन में नवाज शरीफ की प्रत्येक बात का भारतीय प्रवक्ताओं के तर्कसंगत उत्तर ने पाकिस्तान का मुॅंह बन्द कर दिया।
पाकिस्तान तो पानी-पानी तब हुआ जब उसका हमेशा साथ देने वाले देशों ने ही उसके अनुमान से विपरीत बातें कहीं। सभी देशों ने एक स्वर से स्वर मिलाते हुए कहा कि पाकिस्तान को अपनी आतंकी गतिविधियों से बाज आना चाहिए और कश्मीर का मुद्दा जो नवाज शरीफ ने उठाया है उसके लिए कहा गया कि ये मुद्दा इनका खुद का है, अतः समस्या का समाधान स्वयं ही खोजना चाहिए। यहॉं तक कि पाकिस्तान का हमेशा साथ देने वाला देश चीन भी इस मुद्दे पर तटस्थ रूख अपना रहा है। पाकिस्तान की बुद्धि तब और ज्यादा चकराई जब अन्तराष्ट्रिय इस्लामिकसंगठन के प्रमुख देशों संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, अफगानिस्तान, बांग्लादेश आदि ने भी स्वर में स्वर मिलाये। जो अमेरिका आज तक पाकिस्तान को पालता व पोसता रहा है, वही आज अपनी संसद में ऐसा नियम पारित करा रहा है, जो बतायेगा कि पाकिस्तान आतंकवाद का जनक है। दुनिया के किसी भी देश ने पाकिस्तान के साथ सहानुभूति नहीं दिखायी। पाकिस्तान को अपने मुख की खानी पड़ी। विश्वसमुदाय ने पाकिस्तान को सजा दी है, वो सराहनीय है किन्तु भारतसरकार ने भी इससे बहुत कुछ सीखा और सही समय को पहचाना।
उरी हमले की निन्दा देश के सभी दल एक स्वर में कर रहे हैं। निन्दा करनी भी चाहिए । भारत अपनी बहुत-सी विशेषताओं के लिए सदा प्रसिद्ध रहा है। जिसमें यह भी है कि भारत बहुत ही सोच समझ कर प्रत्येक कदम उठाता है। क्योंकि भारत एक शान्तिप्रिय राष्ट्र है, अतः शान्ति बनाये रखना इसका परम कर्तव्य स्वतः ही बन जाता है किन्तु शान्तिप्रिय होने का तात्पर्य यह भी नहीं है कि कोई हमारे एक गाल पर थप्पड़ मारे और हम दूसरा गाल आगे बढ़ाते हुए यह कहे कि ये भी बाकि है। सहने की भी कोई सीमा होती है, जब सीमा पूर्ण हो जाती है तब कुछ निश्चयात्मक सोचना ही पड़ता है। ऐसा ही कुछ भारत को सोचना और करना पड़ा।
उरी में पाकिस्तानी हमले के बाद भारत में उच्चस्तर पर हर पैमाने से मंथन किया गया है। सब जानते हैं कि अब योजनाओं से बात नहीं बनने वाली है। पाकिस्तान से बातचीत और संवाद का समय समाप्त हो चुका है क्योंकि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। इसीलिए 26-27 सितम्बर को भारत की ओर से जो किया गया वो करना आवश्यक ही नहीं अपितु अनिवार्य ही हो गया था। भारतीय सेना ने अपनी बहादुरी दिखाते हुए पाक अधिकृत कश्मीर (पी.ओ.के.) क्षेत्र के तीन किलो मीटर अन्दर जाकर आतंकवादियों के 7 लॉंन्चिग पैड्स पर हमला करते हुए लगभग 38 आतंकवादियों को मार गिराया। पूरा देश भारतीय सेना के इस पराक्रमपूर्ण कृत्य की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा कर रहा है।
इस कार्य को अंजाम देने से सेना की इच्छाशक्ति, क्षमता और तैयारी में कोई भी कमजोरी नहीं दिखायी दी, कमी थी तो केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति की, किन्तु इस बार इच्छाशक्ति की पराकाष्ठा ही हो गयी थी।
प्रधानमन्त्री माननीय श्री नरेन्द्रमोदी जी आदि देश के नीतिनियन्ताओं ने अब स्पष्ट कर दिया है कि हमारे पास इच्छाशक्ति तो पहले से ही थी किन्तु हम सही समय की प्रतीक्षा में थे। इस समय सम्पूर्ण विश्व भारत की हॉं में हॉं मिला रहा है। भारत ने यह कदम उठाने से पूर्व 22 देशों को सूचित कर अवगत कराया कि अब हम ये कदम उठाने जा रहे हैं। आज पाकिस्तान के साथ कोई भी देश खड़ा नहीं हो पा रहा है। विश्वस्तर पर भारत ने जो अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की है, ये उसी का परिणाम है।
पाकिस्तान अपनी छोटी-छोटी आतंकी गतिविधियों से यह समझने लगा था कि भारत को सब कुछ सहन करने की आदत हो गयी है। पाकिस्तान मानने लगा कि भारत सरकार दब्बू है, ये कुछ नहीं कर पायेगी। शायद पाकिस्तान बार-बार भूल जाता है, उसे अपना इतिहास उठाकर देखना चाहिए। पाकिस्तान के ऐसे कुकृत्यों से परेशान होकर हमें ना चाहते हुए भी पाकिस्तान से चार बार युद्ध करने पड़े, जिसमें पाकिस्तान की बुरी तरह हार हुयी। पाकिस्तान को वो पन्ने तो जरुर ही उठाकर देखने चाहिए जब सन् 1971 में हमारे भारतीय नौजवान फौजी भाईयों ने कमाल ही कर दिया था। बांग्लादेश विभाजन के दौरान उनके 90 हजार फौजियों को बंधक बना लिया था, यह देख उस देश के होश उड़ गये थे, और वह हमारे पैरों में गिड़गिड़ा कर नाक रगड़ रहा था। हम भी बड़े दयावान् हैं, हमे उनकी दशा को देखकर दया आ गयी और उन सब बन्दी बनाये गये सैनिकों को मुक्त कर दिया। यह देख सम्पूर्ण विश्व आश्चर्यचकित रह गया। लिहाजा ईंट का जवाब पत्थर से देने का अवसर आ गया था। अब तो सब्र का समय समाप्त होना ही था। कहा गया है कि बीमारी और दुश्मनी शुरु होते ही समाप्त करने का उपाय सोचना चाहिए। हमें आतंकवाद की बीमारी और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश की दुश्मनी बहुत लम्बे समय से झेलनी पड़ रही है। इसके परिणाम सदा घातक ही बनते जा रहे थे। कुछ तो भारत सरकार को ठोस कदम उठाने ही थे।
हालांकि भारत सदा से ही शान्ति की स्थापना करने की बात करता है लेकिन पाकिस्तान ऐसा वातावरण चाहता ही नहीं है। अब भारत ने भी शठ्ये शाठ्यं समाचरेत् की नीति अपना कर उसे चारों ओर से घेर लिया है। वो कुछ भी कर ले हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। हमारी जल-थल और वायु सेनाएॅं अब सन्नद्ध हैं। हिन्द महासागर में हमने पाकिस्तान को ऐसा घेरा है कि वो जो अपने हथियार डालने पर स्वतः ही मजबूर हो रहा है। यदि गलती से पाकिस्तान भारत पर परमाणु डालने की सोचता भी है तो हम उसके परमाणु से ही उसका सदा सदा के लिए नामो-निशान दुनिया के नक्शे से मिटा देंगे। हमारे सारे अस्त्र-शस्त्र तैयार हैं हम सिर्फ प्रतीक्षा कर रहे हैं। यदि अब भी पाकिस्तान अपनी गलतियॉं करने से नहीं रुकेगा तो उसका परिणाम बहुत ही भयंकर होगा।
पाकिस्तान के लिए अभी भी समय है। समय रहते यदि इस घटना से कुछ सबक नहीं लिया तो स्थितियॉं उसके अनुकूल नहीं होगीं।
आज पाकिस्तान को सावधान हो जाना चाहिए। क्योंकि अब प्रतीक्षा का लम्बा सफर समाप्त हो चुका है। अब निर्णय पाकिस्तान के हाथ में है कि वह क्या चाहता है? भारत पाकिस्तान के साथ हमेशा से ही दोनों निर्णयों से साथ आगे बढ़ने को तैयार है किन्तु दोगली नीति अब स्वीकार नहीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress