गजल

एक गजल सच्चाई पर

कोई टोपी कोई पगड़ी कोई इज्जत अपनी बेच देता है
मिले अच्छी रिश्वत,जज भी आज न्याय बेच देता है

वैश्या फिर भी अच्छी है उसकी हद है अपने कोठे तक
पुलिस वाला तो बीच चौराहे पर अपनी वर्दी बेच देता है

जला दी जाती है,अक्सर बिटिया सुसराल में बेरहमी से
जिस बेटी के खातिर बाप अपनी  जिन्दगी बेच देता है

कोई मासूम लडकी प्यार में कुर्बान है जिस पर
बना कर विडियो उसको तो प्रेमी बेच देता है

जान दे दी वतन पर जिन बेनाम शहीदों ने
एक भ्रष्ट नेता अपने वतन को बेच देता है

इंसान कितना गिर चुका है अंदाजा नहीं लग सकता
इंसान धर्म इमान तो क्या,बच्चो को भी बेच देता है

जाता है मरीज अस्तपताल में अपना इलाज के लिये
पर डाक्टर आपरेशन के बहाने किडनी बेच देता है

क्यों वसूलते है हफ्ता पुलिस वाले बुरा काम करने वालो से
क्योकि प्रशासन अब नेता से मिलकर थाने बेच देता है

आर के रस्तोगी