कविता

एक सोच लड़की है पराया धन


क्यो समझते है,
लड़की है पराया धन
लड़का है अपना धन
जबकि दोनों लेते है
एक कोख से जन्म।

दोनों की जन्म मै
मां को होती हैं
एक सी पीड़ा
दोनों ही जन्म के बाद
करते है एक सी क्रीड़ा।
ये हैं एक प्रकृति नियम
फिर भी समझते है
लड़की है पराया धन
लड़का है अपना धन।।

दोनों का एक घर
दोनों का एक आंगन
दोनों का एक माली
दोनों का एक चमन
फिर भी कहते है
लड़की है पराया धन
लड़का है अपना धन।।

लड़की हो जाती है
शादी के बाद पराई
लड़के की शादी के बाद
बहू हो जाती है पराई
ये कैसा चला आ रहा
समाज में ये नियम
आओ सब मिलकर
बदले ये सब नियम
और कहने लगे सब
लड़की है अपना धन
लड़का है पराया धन।।