स्वीकार करो गणपति बाप्पा मेरा वंदन।

हे शिव-गौरी के राजदुलारे नंदन!
करते हम सभी नित आपका वंदन।
प्रथम पूजनीय जगत में कहलाते आप
विघ्नहर्ता बन हर लेते भक्तों के संताप।
रिद्धि-सिद्धि के आप हो सखा-स्वामी
कष्ट दूर करो मेरे हे दुखहर्ता-अंतर्यामी !
शीश झुका करती हूँ आपका अभिनन्दन
स्वीकार करो गणपति बाप्पा मेरा वंदन।

प्रभु सेवक हैं हम तो चरणों के तिहारे
सुमिरन तुम्हारा ही करते साँझ-सकारे।
प्रेम से अर्पण किया जो उसे स्वीकारें
दूर करो प्रभु अब पथ के शूल-अँधियारे।
करता है मन हमेशा आपका ही सुमिरन
लीन है भक्ति में जीवन का प्रत्येक क्षण।
शीश झुका करती हूँ आपका अभिनन्दन
स्वीकार करो गणपति बाप्पा मेरा वंदन।

मूष की सवारी से मूषकराज कहलाते
मोदक-मिष्ठान्न आपको बहुत ही भाते।
मात-पिता में ही ब्रह्मांड आप दिखाते
उनकी सेवा को जीवन का मर्म बताते।
जन्मदाता में ही है जीवन का निहितार्थ
परिक्रमा कर उनकी दिया प्रमाण यथार्थ।
निश्चय कर दूर करो उनके सभी क्रंदन
समर्पित करो जननी-जनक को अपना मन।
उनका आमोदित-उर है हमारा असली धन
होगी कृपा बाप्पा की जब वे होंगे प्रसन्न।
शीश झुका करती हूँ आपका अभिनन्दन
स्वीकार करो गणपति बाप्पा मेरा वंदन।
लक्ष्मी अग्रवाल

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