नशे के आदी युवा

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अनिल अनूप 

हाल ही में रिलीज हुई फिल्म उड़ता पंजाब के ट्रेलर ने पंजाब सरकार की नींद उड़ाकर रख दी थी। ये ट्रेलर उस समय रिलीज किया गया था जब पंजाब सरकार जनता को सफाई देने में लगी हुई थी कि पंजाब को केवल ड्रग्स के लिए बदनाम किया जा रहा है। वहीं फिल्म की अगर बात करें तो इसके ट्रेलर में दावा किया गया है कि पंजाब के 75 फीसदी युवा नशे के आदी हैं। आइए इसी संदर्भ में एक नजर डालते हैं ड्रग्स के आंकड़ों पर।
पंजाब का 75 प्रतिशत युवा, हर तीसरा स्टूडेंट, पंजाब के कुल परिवारों में से 65 प्रतिशत परिवार आज ड्रग्स की चपेट में है। आंकड़ों से ये बात साफ जाहिर होती है कि पंजाब में ड्रग्स की मदहोशी किस कदर फैली हुई है।

कहां से आता है ड्रग्स

ये कारोबार पंजाब से सटे भारत-पाकिस्तानी बॉर्डर के जरिए होता है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से ये तस्कर आसानी से बॉर्डर के उस पार से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। इसके अलावा बांग्लादेश की सीमा पर अफीम की अवैध खेती होती है। कुछ महीने पहले ही राजस्थान पुलिस ने यहां 18 किलो अफीम पकड़ी थी। ये अफीम बांग्लादेश के बार्डर से ही राजस्थान पहुंच रही थी। मध्य प्रदेश और इसकी सीमा से सटे राजस्थान के चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिलों से भी अफीम की तस्करी होती है। अफीम की तस्करी मारवाड़ क्षेत्र में अधिक होती है क्योंकि यहां शादियों और अन्य सामजिक कार्यक्रमों में अफीम परोसने की परंपरा है, जिसे रियाण कहते हैं।

कितना है कारोबार

जनवरी २०१६ में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एआईआईएमएस) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में हर साल 7575 करोड़ रुपए का कारोबार होता है। अगर पूरे भारत की बात करें तो दक्षिण एशिया में भारत हेरोइन का सबसे बड़ा अड्डा है। संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक ड्रग रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अपराधी गुट नशे के कारोबार में लिप्त हैं। अफगानिस्तान से हेरोइन चीन, भारत और पाकिस्तान जाती है।

हेरोइन की खपत सबसे ज्यादा

एम्स के सर्वे में पंजाब के 10 जिलों को शामिल किया गया है जहाँ पंजाब की 60% आबादी निवास करती है। 3620 नशे के आदियों पर किये गए सर्वे के नतीजे बताते हैं कि इनमें 76%- 18 से 35 वर्ष की उम्र के हैं, 99% पुरुष हैं, 54% विवाहित हैं, और करीब 56% ग्रामीण इलाकों से हैं। वहीं एम्स की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में नशा करने वालों की कुल संख्या लगभग 232846 है। इसके अलावा यूएनओडीसी का कहना है, “नशे के आदि ज्यादातर भारतीय, हेरोइन का इस्तेमाल करते हैं। उच्च गुणवत्ता की वजह से तस्कर अफगान हेरोइन को निर्यात करना पंसद करते हैं।”

नशे के आदी युवा

एम्स के 3620 लोगों पर किये गए सर्वे से पता चला है की लगभग 89 प्रतिशत शिक्षित युवा नशे के आदि हैं। औसतन एक व्यक्ति पंजाब में हेरोइन के नशे पर 1400 रुपए रोजाना खर्च करता है। पंजाब में सबसे ज्यादा हेरोइन की खपत होती है, जो पंजाब के कुल नशे की 53 प्रतिशत है। इसके बाद डोडा/फुक्की की 33 प्रतिशत खपत और 14 प्रतिशत नशीली फार्मा दवाइयों की खपत है।

सस्ते नशे भी उपलब्ध

पंजाब में सबसे सस्ता नशा चित्ता नाम से होता है, कहा जाता है जो लोग महंगे ड्रग नहीं खरीद पाते हैं वो चित्ता से नशा करते हैं। इसके अलावा चरस और गांजे जैसे सस्ते नशे भी लोगों को आसानी से मिल जाते हैं।

क्या कहते हैं वैश्विक आंकड़े

– वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के अनुसार ड्रग्स के कारण हर साल लगभग ३३ लाख लोगों की मौत हो जाती है।
– हर १५ साल या उससे अधिक उम्र का व्यक्ति हर साल 6.2 लीटर शुद्ध शराब का सेवन करता है।
– पूरी आबादी का आधे से कम हिस्सा यानी 38.3 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं।
– शराब का सेवन करने वाले लोग हर साल 17 लीटर शुद्ध शराब का सेवन करते हैं।
– पूरे विश्व में लगभग 15 करोड़ लोग नशे के आदी हैं।

कैसे बचा जाए नशे की लत से

ड्रग की लत (एडिक्शन) से छुटकारा पाना किसी संघर्ष से कम नहीं है। लेकिन फिर भी आप ड्रग्स छोड़ने को ही अपना लक्ष्य बना लेते हैं तो आपके लिए ये नामुमकिन नहीं है।
छोड़ने का लक्ष्य तय करें : नशे की लत को हराने के लिए आपको इसे छोड़ने का लक्ष्य बनाने की जरूरत है। आप एक ही बार में यह सब नहीं कर पायेंगे, लेकिन लक्ष्य बनाने से आपको अपने अगले कदम को तय करने में मदद मिलेगी।

डॉक्टर की मदद लें : ऐसे डॉक्टर की मदद लें जो रासायनिक लत को छुड़ाने में विशेषज्ञ हो। पेशेवर विशेषज्ञ आपको ख़ास ड्रग एडिक्शन के संबंध में उपचार विकल्पों के बारे में सलाह दे सकता है।

मेडिटेशन आजमायें : तनाव को प्रबंधित करने और श्वास व शरीर पर फोकस करने के लिए मेडिटेशन अच्छा तरीका हो सकता है। ड्रग या शराब के उपयोग की इच्छा से निपटने के लिए खुद को शांत रखने हेतु मेडिटेशन अच्छा तरीका है।
दिल से कहना होगा “नशा नहीं चाहिए “

पंजाब को दिल से कहना होगा ‘हमें नहीं चाहिए नशा’
पंजाब में नशे के खिलाफ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जो कड़ी कार्रवाई शुरू की है, वह काबिलेतारीफ है। राज्य में नशे के ओवरडोज से लगातार युवक मौत के मुंह में जा रहे हैं, और रोजाना किसी न किसी जिले से ऐसी खबरें आ रही हैं, जोकि नशे के फैलते मक्कडज़ाल की तरफ इशारा करती हैं, हालांकि नशाबाज युवाओं को हत्तोत्साहित करने के लिए सरकार ने अब भर्तियों और प्रमोशन के वक्त डोप टेस्ट यानी नशा न करने का परीक्षण करना जरूरी कर दिया है। बेशक सरकार का यह कदम सही है, लेकिन इसे अभी लागू नहीं किया गया है। हालांकि एक-दूसरे की देखा-देखी सूबे के नेताओं में डोप टेस्ट कराने की होड़ सी लग चुकी है। अब जिला अस्पतालों में जाकर नेता अपना डोप टेस्ट करा रहे हैं, आम जनता के मन में इन नेताओं को देख कर यह सवाल आ रहा है कि आखिर अपना डोप टेस्ट कराकर ये नेता क्या साबित करना चाहते हैं?
जाहिर है, नशे के खिलाफ अगर ईमानदारी से नेता लोग जनआंदोलन चलाएंगे तो यह जरूर अपने लक्ष्य तक पहुंचेगा। पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा केपी सिंह ने भी अपना डोप टेस्ट कराया है। इस दौरान उन्होंने जो बात कही है, उस पर विचार होना चाहिए। उनका कहना है कि नशे को लेकर सिर्फ पुलिस कर्मियों को दोष देना सही नहीं है, यह बहुत बड़ी बीमारी है। उन्होंने नशे के कारोबारियों को काली भेड़ों की संज्ञा देते हुए कहा कि ऐसे लोगों की पहचान होनी चाहिए। वास्तव में स्पीकर का कहना सही है, दोषारोपण करके इस समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा, अपितु सभी को और राजनीतिक दायरों से बाहर निकल कर आगे आना होगा और जिस प्रकार देश की आजादी की लड़ाई के लिए पंजाब के लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था, उसी प्रकार अब नशे के खात्मे के लिए काम करना होगा।
हालांकि कुछ ऐसी रिपोर्ट भी आ रही हैं, जोकि सरकार की ओर से डोप टेस्ट जरूरी किए जाने की शर्त पर सवाल उठाती हैं, दरअसल बताया गया है कि अगर किसी ने 72 घंटे से लेकर 7 दिन तक नशा किया है और उसका डोप टेस्ट होता है, तो उसकी रिपोर्ट ही पॉजिटिव आएगी। अब अगर नौकरी के आवेदन के वक्त कोई नशा करता रहा हो और फिर एकाएक कुछ दिन के लिए नशे को छोड़ दिया हो तो डोप टेस्ट में उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आएगी। ऐसे में जरूरत एकाएक डोप टेस्ट की रहेगी ताकि संदिग्ध पाए जाने पर तुरंत परीक्षण करके यह पता लगाया जाए कि संबंधित व्यक्ति नशा करता है या नहीं। खैर, पंजाब में भर्तियों के वक्त डोप टेस्ट नई बात नहीं है, वर्ष 2016 में पुलिस में भर्ती के वक्त इसे जरूरी किया गया था। इसके बाद जब भर्ती शुरू हुई तो कपूरथला में 226, पटियाला में 35, फिरोजपुर में 31, मोगा में 40, फरीदकोट में 177 युवाओं को पॉजिटिव पाया गया था।
वैसे, पंजाब में नशे के खिलाफ बन रही मुहिम के लिए मीडिया को श्रेय दिया जाना चाहिए। बेशक, अभी इसका रिजल्ट आना बाकी है और संभव है इसमें बड़ा वक्त लग जाए लेकिन प्रदेश में नशे के खिलाफ लगातार मीडिया रिपोर्ट इसका खुलासा कर रही हैं कि कैसे नशा लोगों को खोखला कर रहा है ओर इसमें सिर्फ युवा ही नहीं अपितु हर उम्र के लोग शामिल हैं। इन मीडिया रिपोर्ट के बाद ही सरकार जागी है तो पुलिस रातों-रात नशा तस्करों की सूचियां बनाने में जुट गई है और विभिन्न जिलों की पुलिस के बीच साझा रणनीति बनाई जा रही है। दरअसल, किसी बुराई का खात्मा तब ही नहीं हो सकता है, जब उसे फोर्स से रोकने की कोशिश हो, उसका पूर्णतया खात्मा तब होगा जब लोग दिल से चाहेंगे। अब एक खुशहाल पंजाब के लिए प्रदेश के लोगों को दिल से नशे को ना कहना ही होगा।

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