संदर्भः- अल्बानिया की पहली एआई मंत्री डिएला की नियुक्ति
नेताओं पर गहराया विस्थापन का संकट
प्रमोद भार्गव
विडंबना देखिए, मनुष्य द्वारा निर्मित वाहनों ने मनुष्य के पैरों से चलने की ताकत छीन ली। मशीनी तकनीक मनुष्य के हाथों के हुनर छीनती जा रही है और अब हैरान करने वाली वास्तविकता यहां तक पहुंच गई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अर्थात कृत्रिम बुद्धि से निर्मित डिएला नामक रोबोट स्त्री को यानी मानव के विरुद्ध एक प्रति मानव के रूप में अस्तित्व में लाया गया रोबोट का यह दखल राजनीति से नेता के विस्थापन के रूप में देखने में आया है। सत्ता पक्ष डिएला की नियुक्ति से भ्रष्टाचार मुक्त शासन की कल्पना कर रहा है, जबकि विपक्ष इस रोबोट-स्त्री की तैनाती को असंवैधानिक करार दे रहा है।
एआई मंत्री डिएला को अल्बानिया की नेशनल एजेंसी फॉर इंफॉर्मेशन सोसायटी ने माइक्रोसॉफ्ट के सहयोग से विकसित किया है। डिएला को मंत्री पद की जिम्मेदारी संवैधानिक लोकतांत्रिक प्रणाली से चौथी बार प्रधानमंत्री बने एडी रामा ने सौंपी है। इसी साल मई 2025 में चुनाव जीतने के बाद 11 सितंबर को उन्होंने अपनी नई सरकार का गठन किया है। डिएला ने संपूर्ण स्त्री भाव से संसद में राजनीतिक चतुराई से भरा उल्लेखनीय वक्तव्य भी दिया। उन्होंने कहा, ‘विपक्ष मेरी नियुक्ति को बार-बार असंवैधानिक बता रहा है। विपक्ष के इस व्यवहार से मेरी भावना आहत हुई है। मैं शासन-प्रशासन को पारदर्शी बनाने और जनता की मदद के लिए हूं। विपक्ष आशंकित न हो, मेरा लक्ष्य जैविक मनुष्य को प्रतिस्थापित (रिप्लेस) करने का नहीं है। मैं किसी की जगह लेने के लिए नहीं आई हूं।‘ डिएला ने जो कहा वह अजैविक मानव के लिए ठीक हो सकता है, लेकिन सच्चाई तो यही है कि मनुष्य के विरुद्ध एक प्रति मनुश्य के रूप में अपनी जगह बनाता रोबोट जैविक मनुष्य को सीमेंट, कंक्रीट और यंत्रों के जंगल में धकेलता जा रहा है। प्रति मानव रोबोट में बुद्धि डालकर उसे हम मनुष्य का शासक बनाने में लगे हुए हैं। अभी तक रोबोट को नए-नए रूपों में विकसित करने का काम वैज्ञानिक रूपी मनुष्य करता था, लेकिन प्रौद्योगिकी के आकाश में कृत्रिम बुद्धि ने ऐसे पंख दे दिए हैं कि रोबोट अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मदद से स्वयं अद्यतन (अपडेट) होने लगे हैं और जो जीवित रोबोट अस्तित्व में आए हैं, वे स्वयं रोबोट पैदा करने लगे हैं। रोबोट के स्वमेव परिवर्तन और नए रोबोट पैदा करने की इस ताकत के परिणाम फलदायी होंगे या घातक यह अभी भविष्य के गर्भ में जरूर है, किंतु चिंतनीय बिंदु अवश्य है।
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने जीवित रोबोट ‘जेनोबोट्स‘ अवतरित कर दिया है। इसके आविश्कारक वैज्ञानिकों का दावा है कि यह रोबोट अपने जैसे रोबोट संतान के रूप में पैदा कर सकता है। यह करिश्मा वर्मोंट, हावर्ड और टफ्ट्स विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया है। यह रोबोट अफ्रीका में पाए जाने वाले जेनोपस लेविस प्रजाति के मेढ़क के भू्रण की स्तंभ कोशिकाओं से बनाया है। वैज्ञानिकों ने मेंढक के भ्रूण की (एंब्रियो) की जीवित कोशिकाओं को अन्य नए जीवन रूपों के तौर पर प्रयोग करने में सफलता पाई है। इसे जीवित क्रिया-कलाप करने लायक जीव के तौर पर देखा जा रहा है। एक मिमि से भी कम चौड़े इन रोबोट्स को पहली बार 2020 में दुनिया के सामने सार्वजनिक किया गया था। ये जीते-जागते रोबोट्स हैं। भ्रूण से विकसित इन रोबोट के दिल को मोटर की तरह उपयोग में लाया जाता है। मसलन ये जेनोबोट्स मुंह के अंदर एकल कोशिकाओं को एकत्रित करते हैं और रोबोट के रूप में बच्चों को अवतरित (पैदा) करते जाते हैं। जो हूबहू माता-पिता के प्रतिकृति होते हैं। उन्हीं की तरह दिखते हैं और क्रिया-कलाप करते हैं। ये चल-फिर सकते हैं, तैर सकते हैं। कोई गड़बड़ी होने पर खुद को ठीक भी कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों का दावा है कि जेनोबोट्स में जानवर या पौधों से अलग जैविक प्रजनन का एकदम नया मौलिक रूप खोजा है। ये रूप विज्ञान के लिए ज्ञात किसी भी रूप नख से शिख तक भिन्न हैं। लोग अभी तक यह जानते हैं कि रोबोट धातु, चीनी मिट्टी या प्लास्टिक से बने होते हैं। जबकि जेनेबोट्स मेंढक के जीवित भू्रण की स्तंभ कोशिकाओं को कतरन (स्क्रैप) करके सेने (इनक्यूबेट) के लिए छोड़ दिया। इन्हें साइबॉर्ग रोबोट की श्रेणी में रखा जा सकता है। इस सिलसिले में सूक्ष्म षल्य क्रिया विषेशज्ञ का कहना है कि ‘स्तंभ कोशिकाओं की कतरन को चिमटी और लघु इलेक्ट्रोड से सूक्ष्मदर्षी यंत्र के माध्यम से एक आकार में ढाला गया, फिर इन्हें षरीर का रूप दिया गया। तत्पश्चात ये कोषिकाएं पुनः सक्रिय हो गईं। इस तरह तैयार जेनोबोट्स को जब टुकड़ों में विभाजित किया गया तो वह स्वयं को जोड़कर क्रियाशील हो गया।‘ इसी कारण ये रोबोट के साथ जीव भी हैं। इन्हें साइबॉर्ग रोबोट की श्रेणी में रखा जा सकता है। इनके वंषाणु (जीन) में कोई फेर-बदल नहीं किया गया है। सब कुल मिलाकर ये पारंपरिक रोबोट से भिन्न हैं। अतएव हो सकता है, इनकी कालांतर में एक नई श्रेणी बना दी जाए। इसीलिए टफ्ट्स ‘रिजेनरेटिव एंड डेवलपमेंट बायोलॉजी‘ के निदेशक माइकल लेविन का कहना है कि यह एक विशेष प्रयोग है। ये रोबोट समुद्र, नदी और तालाब की गहराईयों से माइक्रोप्लास्टिक कचरा खींच लाने में सक्षम हैं। लिहाजा इस जीवित मशीन को स्वच्छता के अभियान में भी लगाया जा सकता है। मानव की धमनियों की बाधा को दूर करने में भी इनका इस्तेमाल हो सकता है। ऐसी ही रोबोट तकनीक का कमाल है डिएला!
28 लाख की आबादी वाले देश अल्बानिया की अल्बानियाई भाषा में ‘डिएला‘ का अर्थ ‘सूरज‘ होता है। डिएला को अल्बानिया की पारंपरिक वेशभूषा में सौम्य, सुंदर और सुशील स्त्री को रोबोट के रूप में विकसित किया गया है। डिएला की वाणी और मुखाकृति अल्बानियाई अभिनेत्री अनिला बिशा का प्रतिदर्श (मॉडल) है। प्रधानमंत्री ने इन्हें सार्वजनिक खरीद मंत्रालय का मंत्री बनाने की घोशणा विधिपूर्वक राजधानी तिराना की संसद में की थी। अल्बानिया यूरोपीय संघ में षामिल होने की प्रक्रिया में है। इस प्रक्रिया को पूरी होने में भ्रश्टाचार बड़ी बाधा बन रहा है। इसीलिए डिएला को सरकारी खरीद निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और कदाचरण खत्म करने की दृश्टि से नियुक्त किया गया है। अतएव यह तैनाती नवाचार को प्रोत्साहित करने और स्वच्छ छवि को बढ़ावा देने के नजरिए से की गई है। यानी डिएला का मनोनयन रामा सरकार की रणनीति की एक कूटनीतिक चाल भी है। प्रधानमंत्री रामा इसी लक्ष्यपूर्ति के बहाने राश्ट्र को भ्रश्टाचार मुक्त बनाए जाने के प्रति, प्रतिबद्धता जता रहे हैं। इसी परिप्रेक्ष्य में सरकार में षामिल अन्य मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों ने कहना षुरू कर दिया है कि सार्वजनिक व्यय में भ्रश्टाचार से लड़ने में मदद मिलेगी। इसके विपरीत विपक्षी सांसद दावा कर रहे हैं कि यह तथाकथित एआई से संचालित स्त्री रोबोट भ्रश्टाचार पर पर्दा डालने का काम करेगा। क्योंकि हम जानते हैं कि अंततः रोबोट एक मशीन ही है, जिसके डाटा और सर्किट में परिवर्तन किए जा सकते हैं।
अल्बानिया के संविधान में जनता द्वारा निर्वाचित सांसद को ही मंत्री बनने का अधिकार है न कि किसी स्त्री रोबोट के आभासी अवतार को ? मन, दिल और जैविक शरीर के बिना अस्तित्व वाला रोबोट मंत्री का स्थान कैसे ले सकता है ? यह तरीका इंसान को जीवंत राजनीति से विस्थापन का कुटिल तकनीकी उपाय भर है, जो किसी भी देश और मानव जाति के लिए घातक है। कोई प्रतीक मनुष्य का स्थान नहीं ले सकता है। डिएला की तैनाती में जो सबसे प्रमुख कमी है, वह है कि इसकी गलतियों के लिए जिम्मेदार किसे ठहराया जाए ? क्योंकि डिएला कोई प्राकृतिक व्यक्ति नहीं है और न ही इस पर कोई स्पष्ट कानून है। इसमें निजता और डेटा संप्रभुता जैसी सुरक्षा संबंधी समस्याएं भी परिलक्षित हो रही हैं। अतएव एआई कुशल और समावेशी शासन व्यवस्था के लिए एक शक्तिशाली मशीनी यंत्र अवश्य है, तथपि इसके उत्तरदायित्व और लोक विश्वास सुनिश्चित होने जरूरी हैं। जिससे इसके नैतिक और लोकतांत्रिक मानदंड निर्धारित हों।
प्रमोद भार्गव