ये सारी जीवात्मा न तो नर है और नहीं नारी है

—विनय कुमार विनायक
इस प्रकृति प्रदत्त धरा धाम के पवित्र रंगमंच पर
ये सारी जीवात्मा न तो नर है और नहीं नारी है
मगर इन सबकी अलग-अलग अपनी अदाकारी है!

कोई माता पिता कोई पति पत्नी कोई बहन भाई
कोई पुत्र पुत्री सभी एक दूसरे के पूरक जीवधारी है
ये जल-थल-नभचर जीव त्रियर्क योनि चेतनाधारी है!

ये नाते रिश्तेदार संगी साथी का तन पाकर आते
ये ईश्वरीय लीला खेला है कि यहाँ सभी किरदार
नायक नायिका में एक दूसरे के प्रति वफादारी हैं!

ये अजीब खासियत है जीव जगत और प्रकृति की
कि कोई नहीं यहाँ खलनायक कोई नहीं संहारी है
सबको प्रिय अपनी जान,जान बचाना जिम्मेवारी है!

माता-पिता, पति-पत्नी ये संसार की युगल जोड़ी है
और भाई-बहन पुत्र-पुत्री एकात्म आत्मवत एक कड़ी है
सब आत्मा आपस में सहयोगी ना छोटी नहीं बड़ी है!

जिसे आस्तिक हिन्दू सिख आर्यसमाजी आत्मा कहते
उसे नास्तिक आजीवक चार्वाक बौद्ध जैन चेतना कहते
पंचभौतिक तत्वों के आपसी सुमेल से बने जीव देह ही
मनुज का भगवान है,भगवान देह से अलग नहीं होते!

काया से अलग आत्मा ही बार-बार शरीर धारण करती
ये धार्मिक आस्तिक कर्मफलवादी हिन्दू जन का कहना!

आस्तिक नास्तिक विज्ञानवेत्ता सहमत होकर सब कहते
पंचभूतों के मेल से जीव के देह में आती जीवंत चेतना!

भू गगन वायु आग नीर मिलके ये पांच भौतिक घटक
‘भ’’ग’’व’’आ’’न’ कहलाता, जो हैं पंचभूतों के आद्याक्षर
भ-ग-वा-न की अलग से नहीं होती है कोई रुप आकृति,
भूमि गगन वायु आग नीर की प्रक्रिया से सजीव बनता!

अम्ल वात कफ पित्त के संतुलन से ही स्वास्थ्य मिलता,
आजीवक का कहना कत्था पान चुना से लाली आने जैसा
पंचभूतों के मेल से स्वगुणों के विपरीत सगुण है चेतनता!

मनुष्य शरीर स्वस्थ रहता पंचभूतों के समानुपात से
देह में अम्ल वृद्धि को जल तत्व से क्षारीय करने से
जीवन स्वस्थ होता,जल वायु जीव को समरस करता!

कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन वसा विटामिन व धातुओं के लवण
इन जैविक रसायन के टूट फूट विघटन और मिलन से
जीवन संचालन हेतु उत्पन्न जैविक ऊष्मा ही है जीवन!

सारे खाद्य पदार्थ कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन वसा विटामिन लवण
सुपाच्य हो ग्लूकोज बनता जो अग्निरस इंसुलिन से जलकर
जैव ऊष्मा ‘एडीनोसीन ट्राई फास्फेट’ यानि एटीपी बन जाता
यही जीबनशक्ति चेतना आत्मशक्ति भगवान की भगवंतता!
—विनय कुमार विनायक

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