
माँ तुम बिन सब अधूरी है 
जीना तो चाहता नहीं ,
मगर तेरे सपनों के लिये जीना जरुरी है 
माँ तुम बिन सब अधूरी है |
ओ चाँद जिसे तुम ने मामा बताया 
उस मामा और मेरे बीच जाने कितने मीलों की दुरी है 
माँ तुम बिन सब अधूरी है |
लौटता हूँ घर को खामोसी से
दीवारों से बातें होती है माधहोसी से
अब तो रातों में सोना मजबूरी है 
माँ तुम बिन सब अधूरी है |
डर सा लगता है कभी–कभी
के कहीं रास्तें में खो न जाऊ 
तुझे याद करके रोता रहता हूँ 
मगर जीने के लिये रोना जरुरी है 
माँ तुम बिन सब अधूरी है | 
- राकेश कुमार पटेल
