अप्सरा रेड्डी को बड़ी जिम्मेदारी राजनीति का बड़ा बदलाव

विवेक कुमार पाठक 

भारतीय राजनीति में समानता के हक की बात करने वालों के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक कदम उत्साहजनक है। कांग्रेस ने किन्नर अप्सरा रेड्डी को महिला कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है। पत्रकारिता, राजनीति और समाजसेवा में लंबे अरसे से काम रहीं अप्सरा को यह दायित्व मिलना एक बड़ी शुरुआत का सुखद संकेत है। कोई बड़ी बात नहीं कि अर्से से समाज में जिल्लत की जिन्दगी जी रहे किन्नरों को आगामी दिनों में लोग हर क्षेत्र में खुले दिल से समानता के साथ स्वीकारेंगे। 
हम जानते हैं कि ईश्वर की बनाई रचना अनुसार स्त्री और पुरुष के अलावा एक तीसरा वर्ग भी है जिसे समाज में किन्नर कहा जाता है। उनकी शारीरिक बनावट और लिंग असंतुलन में उनका कोई दोष नहीं है इसके बाबजूद समाज मे किन्नरों के साथ अपराधियों की तरह अरसे से दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। पश्चिमी देशों में नागरिक अधिकारों के प्रति संवेदनशीलता जगजाहिर है। वहां किन्नरों के प्रति समाज में न ही दोयम दर्जे का भाव नहीं है न ही उनकी लैगिंक भिन्नता के कारण वे समाज की मुख्य धारा से अलग हैं।
भारत में इससे इतर हालत काफी खराब रहे हैं। पुरुष और स्त्री से अलग तीसरे लिंग वाले नागरिक के प्रति समाज में दोयम दर्जे का व्यवहार आए दिन देखा जाता है। किन्नर समाज में रहकर भी समाज में शामिल नहीं हैं। उनकी दुनिया जैसे एकदम अलग कर दी गई है। समाज का बहुसंख्यक वर्ग किन्नरों को सिर्फ ताली पीटकर नाचने गाने वाले ऐसे इंसान मानता है जो बाकी दुनिया से एकदम अलग हैं। दुआएं देते नाचते गाते किन्नर एक नागरिक के रुप में किस तरह असमानता का सामना कर रहे हैं लोग देख ही नहीं पाते। वे विदूषक का जीवन जीने के लिए अभिशप्त रहे हैं। इन सबके बाबजूद किन्नरों की राजनैतिक उपस्थिति समाज में बडे़े बदलाव का वातावरण बना रही है।

आम लोगों की तरह बीबी बच्चों वाला जीवन न जीने के कारण कहीं न कहीं लोग मानते हैं कि उनका राजनैतिक जीवन परिवार के स्वार्थों से भरा नहीं होगा। आम मतदाता चुनाव में बाकी उम्मीदवारों को धता बताते हुए किन्नरों को अपना वोट देते हुए शायद यही मंशा जता रहे हैं। देश में होने वाले चुनावों में अब किन्नर प्रत्याशियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।
25 अप्रैल 2014 ने भारतीय समाज में किन्नरों की स्वतंत्र पहचान स्थापित की है। देश में इस तारीख से उन्हें तीसरे ट्रांसजेंडर के रुप में तीसरे लिंग की पात्रता हांसिल हुई है। वे अब पुरुष और स्त्री वर्ग से अलग अपनी स्वतंत्र पहचान रखते हैं। 
किन्नरों के लिए राजनीति का द्वार मध्यप्रदेश में शबनम मौसी के साहस के कारण खुला। वे शहडोल जिले के सोहागपुर क्षेत्र से साल 2000 में पहली दफा चुनाव लड़कर निर्दलीय विधायक बनीं। इसके बाद देश में कई किन्नरों ने अपनी किस्मत राजनीति में आजमाई है। मप्र विधानसभा चुनाव 2018 में अंबाह से किन्नर प्रत्याशी को बंपर वोट मिले। ग्वालियर में कांग्रेस के चुनावी अभियान के वक्त आधा दर्जन किन्नर समारोहपूर्वक कांग्रेस में शामिल किए गए। किन्नरों की यह यात्रा बराबर जारी है। देश के अन्य राज्यों की तुलना में दक्षिणी राज्यों में किन्नरों के बीच अधिक राजनैतिक महत्वकांक्षा देखी जा रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने गत दिवस जिन अप्सरा रेड्डी को राष्ट्रीय महासचिव बनाया है वो तमिलनाडु की हैं और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सामने 2016 में भाजपा की सदस्य ले चुकी थीं। राजनीति में आगे बढ़ने के लिए सक्रिय अप्सरा आखिरकार दिल्ली की राजनीति में दमदारी से आई हैं। उन्हें राहुल गांधी और महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव ने अपनी उपस्थिति में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के रुप में मीडिया से मुखातिब कराया। अप्सरा रेड्डी ने इस जिम्मेदारी पर कहा कि वे भावुक हैं और उन्हें अपनी जिम्मेदारियों से वाकिफ हैं। वे राजनीति के जरिए जनसेवा का काम ईमानदारी से करेंगी। राष्ट्रीय राजनीति में अप्सरा का पहुंचना किन्नरों के लिए न केवल एक प्रेरणा देगा बल्कि ये समाज में किन्नरों की स्वीकार्यता और सम्मान की दिशा में बड़ा कदम है। समाज में उनके नागरिक अधिकारों को देश के राजनैतिक दलों की तरह आम नागरिक पूरा महत्व देंगे फिलहाल तो यही आशा की जानी चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress