धोखेबाज हैं स्वामी अग्निवेश

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नीरज कुमार दुबे 

स्वामी अग्निवेश हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता हैं लेकिन राजनीति में उनकी दिलचस्पी बनी हुई है। खुले तौर पर वह भले इसे न स्वीकारें लेकिन हाल फिलहाल में कई ऐसे घटनाक्रम हुए जिसमें वह सामाजिक की बजाय राजनीतिक कार्यकर्ता की भूमिका में ज्यादा दिखे। और यही बात उन्हें विवादित बनाती है। सरकार की ओर से बातचीत के लिए मध्यस्थ होना कोई बुरी बात नहीं लेकिन इसे स्वीकारा जाना चाहिए। गुप्त तरीके से किसी समूह में शामिल होना और वहां की बात दूसरे पक्ष तक पहुंचाना सभ्य संस्कृति नहीं है। किसी भी समूह के सदस्यों में मतभेद होना स्वाभाविक है लेकिन इसे लेकर रवैया स्पष्ट होना चाहिए। जैसे कि संतोष हेगड़े ने हजारे से कुछ बातों पर अपने मतभेद को जगजाहिर किया था लेकिन उन्होंने कोई बात इधर की उधर नहीं की।

एक तरह जहां देश में गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे के जन लोकपाल विधेयक पर सरकार से अपनी कुछ मांगें मनवाने में सफल रहने का जश्न मनाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर हजारे पक्ष इस बात की समीक्षा में जुटा है कि उसके आंदोलन को पलीता लगाने के प्रयास किस किस ने किये। इस कड़ी में स्वामी अग्निवेश का नाम उभर कर आया है जिनका एक कथित वीडियो यूट्यूब पर डाला गया है। इस वीडियो के जारी होने के बाद अग्निवेश पर आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने अन्ना हजारे पक्ष का हिस्सा होने के बावजूद वहां की सूचनायें सरकार को लीक कीं और सरकार के एजेंट के रूप में काम किया। वीडियो की विषय सामग्री से अग्निवेश भी इत्तेफाक रखते हैं लेकिन वह कहते हैं कि इस वीडियो में मैं जिस कपिल जी से बात कर रहा हूं वह केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल नहीं बल्कि हरिद्वार के प्रसिद्ध कपिल मुनि महाराज हैं। हालांकि जब टीवी समाचार चैनलों के कैमरा कपिल मुनि महाराज तक पहुंचे तो उन्होंने पिछले एक वर्ष से अग्निवेश से बात नहीं होने की जानकारी देते हुए यह भी बताया कि हरिद्वार में और कोई कपिल मुनि महाराज नहीं है।

अब सवाल यह उठता है कि क्या अग्निवेश झूठ बोल रहे हैं। यदि हां तो क्यों? वह जिन कपिल जी से बात कर रहे थे उनसे इस वीडियो में कह रहे थे कि सरकार को इस कदर झुकना नहीं चाहिये। वीडियो में उन्हें कथित रूप से हजारे पक्ष को पागल हाथी की संज्ञा देते हुए दिखाया गया है। वीडियो में वह कपिल जी से यह भी कह रहे हैं कि सरकार को सख्ती दिखानी चाहिए ताकि कोई संसद पर दबाव नहीं बना सके। यदि यह सब वाकई सही है तो यह सरासर धोखेबाजी ही कही जायेगी।

अग्निवेश पर सरकार के एजेंट होने के आरोप पहले से भी लगते रहे हैं। यही कारण रहा कि इस बार हजारे पक्ष ने उनसे दूरी बनाना सही समझा। पिछली बार जब अप्रैल में हजारे अनशन पर बैठे थे उस समय सरकार से समझौता कराने में अग्निवेश सबसे आगे थे। हजारे पक्ष को उस समय यह महसूस हुआ कि सरकार ने उसे धोखा दिया है और सरकार की बात मानने की उन्होंने जल्दी दिखाई। यही कारण रहा कि इस बार सरकार को झुकने के लिए मजबूर कर दिया गया और हजारे पक्ष ने अग्निवेश की एक नहीं सुनी। यही नहीं हजारे के अप्रैल के आंदोलन के बाद जब लोकपाल विधेयक का प्रारूप तैयार करने के लिए संयुक्त समिति बनाई गई तो उसमें शामिल होने के लिए अग्निवेश ने काफी हाथ पैर मारे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।

जब हजारे ने 16 अगस्त से अनशन पर बैठने का फैसला किया तो शुरू में ही अग्निवेश ने हजारे के इस फैसले की आलोचना की थी। हजारे ने जब गिरफ्तारी दी तो अग्निवेश परिदृश्य से गायब रहे लेकिन जब उनकी रिहाई का फैसला आया तो वह तिहाड़ जेल के बाहर नजर आये। रामलीला मैदान भी वह पहुंचे लेकिन जब अन्ना की कोर समिति ने उन्हें भेदिया समझते हुए किनारे कर दिया तो वह नाराज हो गये। बताया गया कि वह सरकार से वार्ता करने वाले दल का सदस्य बनना चाहते थे और सरकार की ओर से भी ऐसी इच्छा जताई गयी थी लेकिन पूर्व के अनुभवों को देखते हुए अन्ना हजारे पक्ष ने अग्निवेश से दूरी बनाना श्रेयस्कर समझा।

अब जो वीडियो सामने आया है उसके बारे में अग्निवेश यह तो स्वीकार कर रहे हैं कि उन्होंने यह बात कही थी कि संसद के कहने के बाद हजारे का अपना आंदोलन समाप्त करना चाहिए था। हालांक उनका यह भी कहना है कि उन्होंने पागल हाथी की बात नहीं कही और इस वीडियो में कांटछांट की गयी है। संभव है उनकी बात सही हो लेकिन वह वीडियो में दिखायी गयी सामग्री में से जितनी भी बात स्वीकार कर रहे हैं उतनी ही बात उन्हें घर का भेदी साबित करने के लिए काफी है। तभी तो हजारे की करीबी सहयोगी किरण बेदी ने अग्निवेश को धोखेबाज तक कह दिया है और उनसे पूरे मामले पर सफाई मांगी है।

यह अग्निवेश के लिए वाकई मुश्किल वाली बात ही कही जायेगी कि उन पर आरोप लगाते हुए आर्य समाज के प्रतिनिधियों ने भी उन्हें धोखेबाज कहा है और हजारे पक्ष को उनसे सावधान रहने की सलाह दी है। लेकिन शायद इन सब बातों से अग्निवेश पर कोई फर्क पड़ता नहीं है। पूर्व में भी उनको कई बार घेरा गया है लेकिन उन्हें ऐसी स्थितियों से निबटना भलीभांति आता है।

बहरहाल, इस प्रकरण के बाद यह सवाल उठने लाजिमी हैं कि अग्निवेश किसी मामले में तभी क्यों दखल देते हैं जब सरकार की किसी से बात हो रही हो। यह वार्ता चाहे माओवादियों के साथ हो, किसी आंदोलनकारी के साथ हो या फिर किसी अन्य के साथ। कुछ दिनों पहले एक वीडियो में माओवादियों के बीच लाल सलाम के नारे लगाते दिखाये गये अग्निवेश अपने नये वीडियो पर जो स्पष्टीकरण दे रहे हैं उससे हजारे पक्ष संतुष्ट होगा या नहीं यह देखने वाली बात होगी। लेकिन इतना तो तय है ही कि अनशन के समय टीम अन्ना पर उन्होंने जो हमले किये उसका जवाब अनशन की सफलता से गदगद टीम अन्ना जरूर देगी।

जय हिंद, जय हिंदी

6 COMMENTS

  1. अन्ना हजारे धोकेबाज है व्यवस्था परिवर्तन की बात कर्ते हुवे सिर्फ एक कानून को लेकर अनशन पर बैठते है और जनता को धोका देते है | लोकप्रियता की होड़ के पीछे भागनेवाले गाँधी के अनुयाई है अन्ना | स्वामी अग्निवेश ने अन्ना के साथ सही किया | केवल एक लोकपाल ही क्यों स्वामी रामदेव जैसे पुरे व्यवस्था परिवर्तन की लिए अनशन पर क्यों नहीं बैठते अन्ना ? अन्ना डरते है के कही मेरा आन्दोलन को कुचला तो मेरी छबी ख़राब तो नहीं होगी | स्वामी अग्निवेश अगर धर्म के नाम पर चल रहे अंधकार याने अमरनाथ जैसे यात्रा का खंडन करते है तो कुछ बुरा नहीं करते | स्वामी अग्निवेश कबसे सामजिक कार्यकर्ता के रूप में कम करते है आपको मालूम भी है ? मै लाठी से डरता नहीं कहनेवाले ढोंगी अन्ना यहाँ एक सांसद के धमकी से अनशन छोड़ के भागे थे महाराष्ट्र में | सिर्फ लोप्रियता के पुजारी है अन्ना |

  2. ? BEKAIR MAI APNA TIME WASETE KARTO HO EASIA ADMI PAR , JISKA NAME HI HAI AGNI+VAISH = JIS NAI AGG KO ODA HUA HAI ??????????????

    JIS ADMI NAI AGG(KAM,KRODH,MAD,MOH) + RUP AP

  3. यदि कोई सज्जन इस स्वयंघोषित स्वामी का जीवन चरित्र लिख सके तो साधरण नागरिकों का उपकार होगा .मैंने सुना था की यह एक बहुरूपिया है जिसने भारतीय जनता का आदर प्राप्त करने के लिए गेरुआ वेश धारण कर रखा है.सोनिया गाँधी की कृपा से इस व्यक्ति ने दिल्ली आर्य समाज के प्रमुख के पद पर कब्ज़ा करने में सफलता प्राप्त की .
    शायद कोई आर्य समाज से जुड़े सज्जन आवश्यक तथ्यों का अनावरण कर सकें

  4. अग्निवेश के बारे में आज तक किसी को सकारात्मक टिपण्णी करते नहीं देखा. सरकारी जासूस का पक्का ठप्पा इन महाशय पर लगा हुआ है. सुना है कि आजकल ये महाशय ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग’ के आश्रम में बैंगलोर गए हुए हैं. पर वहां इनकी जासूसी नहीं चलने वाली. निराश होकर ही लौटेंगे. भेदिये का अनैतिक कार्य करने वाले इस भगवाधारी के विरुद्ध कभी भी कोई सेक्युलरिस्ट नहीं बोलता, जबकि हिन्दू संतों के पीची ये हाथ धोकर पड़े रहते है. स्पष्ट है कि ये उन्ही भगवाधारियों के विरोधियों के साथी हैं. इसी से सारी कहानी समझ आ जानी चाहिए.

  5. सही बात कही आप ने , कृपया ये भी बता दीजिये की अन्ना की कौन सी मांगे सरकार ने मानी है

  6. स्वामी अग्निवेश ने जिस तरह से अपना खेल खेला है यह कोई नई बात नहीं है. उनकी भूमिका विवादों के समाधान में सहायक नहीं होती बल्कि उन्हें उलझाने का ही काम करती है. मध्यस्थ की भूमिका निभाने की तत्परता दिखने वाला व्यक्ति यदि निष्पक्ष हो तभी बनती. ऐसा बन सकने में अक्षम हैं और इसलिए भरोसे लायक नहीं बन सकते.

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