पाकिस्तान का निर्माण सांप्रदायिक आधार पर हुआ था। वहां के नेताओं ने ही नहीं, जनता ने भी भारत विरोध की अपनी सोच को आजादी के बाद के बीते वर्षों में अनेक बार प्रकट करने का प्रयास किया है। यद्यपि ऊपरी तौर पर कहा यह जाता है कि दोनों देशों की सियासत एक दूसरे के लोगों को नहीं मिलने देती है। जबकि सच यह है कि पाकिस्तान की जनता की भी सोच भारत विरोधी है। क्योंकि उनके दिमाग में इस्लामी सांप्रदायिकता का भूत चौबीसों घंटे सवार रहता है। यदि उन्हें वास्तव में ही भारत से प्रेम रहा है और वह समन्वयवादी दृष्टिकोण के चिंतन को किसी भी सभ्य समाज के लिए अनिवार्य समझते हैं तो सबसे पहले उन्हें पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं के प्रति ही अपना समन्वयवादी दृष्टिकोण प्रकट करना चाहिए। परंतु उन्होंने कभी भी वहां के हिंदुओं के प्रति इस प्रकार का दृष्टिकोण नहीं अपनाया। इससे स्पष्ट है कि पाकिस्तान के शासक ही नहीं, वहां की जनता भी भारत विरोधी है।
भारत विरोध की अपनी इसी सोच को लेकर पाकिस्तान के लगभग प्रत्येक प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति ने भारत के विरुद्ध जहर उगलने का कार्य निरंतर जारी रखा है। यद्यपि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकारों के प्रधानमंत्रियों में से एक दो की ओर से कभी ऐसा प्रदर्शित करने का भी प्रयास किया गया कि पाकिस्तान भारत के साथ पड़ोसियों वाला व्यवहार करना चाहता है यद्यपि यह सोच अपवाद स्वरूप ही रही है।
पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर हर उस पाकिस्तानी सैनिक तानाशाह की सोच के उत्तराधिकारी हैं, जिसने भारत के विरुद्ध अब से पूर्व में भी जहर उगलते हुए कोई न कोई पंगा मोल लिया है या भारत के लिए समस्याएं खड़ी करने का कार्य किया है। आसिम मुनीर भारत के विरुद्ध कुरान की उन्हीं आयतों के आधार पर संबंध स्थापित करना चाहते हैं, जो किसी भी गैर मुस्लिम देश को फतह करने और वहां के नागरिकों को इस्लाम स्वीकार करने या तलवार के घाट उतारे जाने की आज्ञा देती हैं। इस प्रकार पाकिस्तान के फील्ड मार्शल सैयद आसिम मुनीर पूरी तरह कट्टरपंथी सोच के व्यक्ति हैं। इसी आधार पर वह अपने देश की सेना को भड़काने का काम करते रहे हैं। कहने के लिए तो पाकिस्तान में इस समय लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार काम कर रही है और उसके चुने हुए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हैं ,परंतु सच्चाई यह है कि वहां की सरकार पर आसिम मुनीर का नियंत्रण है । इसके अतिरिक्त वहां पर कब लोकतंत्र का गला घोंटकर सैनिक शासन स्थापित कर दिया जाए , इसके बारे में कोई नहीं जानता।
पाकिस्तान की सेना के प्रमुख आसिम मुनीर ने आधिकारिक रूप से चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज का पद संभाल लिया है। इसके साथ ही उन्होंने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ का दायित्व भी ले रखा है। इससे स्पष्ट है कि आसिम मुनीर के भीतर उग्र महत्वाकांक्षाएं हैं। जो उन्हें भारत के साथ शत्रुता के लिए प्रेरित करती हैं। उनके भीतर की कट्टरवादिता उन्हें भारत के प्रति कभी उदार बनने नहीं देगी। इसके अतिरिक्त जिस प्रकार उन्हें मई के महीने में भारत के हाथों अपमान झेलना पड़ा है, वह भी इस पड़ोसी जनरल को परेशान कर रहा है। इसलिए वह भारत के लिए किसी भी प्रकार की समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। तात्कालिक आधार पर अपनी धौंस जमाने के लिए आसिम मुनीर भारत के साथ ‘अप्रत्याशित सीमाओं’ तक आगे बढ़ सकते हैं।
इसके पीछे कारण यह भी है कि आसिम मुनीर अपने आप को एक सैनिक तानाशाह में बदलकर राजनीति को सीधे-सीधे अपने हाथों में लेना चाहेंगे । अभी वह इस कार्य को करने से इसलिए थोड़ा सा पीछे हट रहे हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां अभी उनके अनुकूल नहीं हैं।
पाकिस्तान के बारे में जानकारों का कहना है कि आसिम मुनीर अपनी सेना को ही अपने पद और ताकत का आभास कराने के लिए कुछ भी ऐसा कर सकते हैं, जिससे उनकी अपनी ही सेना उनके दबाव में आ जाए। अपनी फौज को दबाव में लेकर ही वह कुछ आगे करने का विचार करेंगे अर्थात पाकिस्तान में तख्तापलट कर अपना शासन स्थापित करने की बात वह तभी सोच सकते हैं, जब उनकी अपनी फौज उनकी हुकुमत को स्वीकार कर ले।
नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर बोर्ड के पूर्व सदस्य तिलक देवेशर ने एएनआई से कहा है कि आसिम मुनीर को असीम ताकत मिलना भारत के लिए चिंता का विषय इसलिए है, क्योंकि वह भारत विरोधी एजेंडे से ही अपनी सेना और जनता को लुभाने की कोशिश करते रहे हैं। इससे प्रथमतया एक संकेत यह भी मिलता है कि पाकिस्तान की जनता भारत विरोध में बोलने वाले नेताओं को अपना हीरो जल्दी बनाती है। वहां का कोई भी जनरल या नेता जितना अधिक भारत विरोध में बोलेगा, वहां की जनता का समर्थन उतना ही उसे अधिक मिलेगा। क्योंकि वह आज भी यह सपने देखते हैं कि गैर मुस्लिम हिंदुस्तान को मिटाकर उस पर मुसलमानों का शासन स्थापित कर लिया जाए। जानकारों को इस बात को लेकर चिंता है कि यदि आसिम मुनीर भारत के विरुद्ध कोई अप्रत्याशित कदम उठाते हैं तो यह निश्चय ही दक्षिण एशिया के लिए खतरनाक होगा। इसका कारण यह भी है कि इस समय भारत अपनी उस स्थिति से बहुत आगे निकल चुका है जब वह दूसरों के नाज नखरे झेला करता था। आज वह दूसरों को उनकी औकात बताने की स्थिति में है। बदला हुआ भारत आज दूसरों को उनकी औकात बताने की अपनी इस स्थिति में आने में देर नहीं करता है। यदि पाकिस्तान का जनरल भारत की ओर गलत नजर से देखेगा तो भारत उसकी आंख निकालने के लिए तैयार रहेगा। यही वह स्थिति है जिसको लेकर जानकार लोग दक्षिण एशिया के बारे में चिंता व्यक्त कर रहे हैं। इन परिस्थितियों को यह स्थिति और भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण बना रही है कि पाकिस्तान की कथित लोकतांत्रिक सरकार बहुत ही कमजोर सरकार है। यदि पाकिस्तान में वास्तव में एक मजबूत सरकार होती तो वह कभी भी आसिम मुनीर को और अप्रत्याशित शक्तियों से संपन्न नहीं करती। वह जिस प्रकार पाकिस्तान के जनरल को शक्ति संपन्न करती गई और करती जा रही है उसका दुष्परिणाम पाकिस्तान को ही भुगतना पड़ सकता है। जिस प्रकार पाकिस्तान के कानून में संशोधन करके एक नया पद सृजित कर आसिम मुनीर को उस पर बैठाया गया है, वह वहां की सरकार की कमजोरी को स्पष्ट करता है। आसिम मुनीर ने अपने आप को 2030 तक सेना के सर्वोच्च पद पर रहने के लिए तैयार कर लिया है। इतना ही नहीं वे इसके बाद भी अपने पद पर बने रहने का प्रयास कर सकते हैं । यदि वह ऐसा करेंगे तो उनकी स्थिति वही होगी जो एक सैनिक तानाशाह की हुआ करती है। हमारा मानना है कि आसिम मुनीर भारत का तो कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे परंतु अपने देश के लिए अवश्य खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं।
डॉ राकेश कुमार आर्य